
MP Election 2023 : डबरा विधानसभा से बाजपा प्रत्याशी इमरती देवी 1200 वोटों से आगे
ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आने वाले ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा प्रेदश की सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में से एक है। इस सीट पर पिछले तीन बार से कांग्रेस का कब्जा है। इस सीट की चर्चा इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इस सीट पर अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहने वाली भाजपा की पूर्व मंत्री और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक नेता इमरती देवी चुनाव लड़ती हैं। फिलहाल रविवार को सामने आ रहे शुरुआती रुझानों में भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी 1200 वोटों से आगे चल रही हैं।
ये सीट 2020 के विदानसभा उपचुनाव के दौरान उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में रही जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ इमरती देवी भी भाजपा में आगईं। लेकिन उपचुनाव के दौरान अपने प्रतिद्वंदी और रिश्तेदार सुरेश राजे से हार गईं।
17 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव में डबरा विधानसभा सीट पर 72.04 फीसदी की वोटिंग दर्ज की गई है। वहीं, बात करें 2018 के वोट प्रतिशत की तो पिछली बार इस सीट पर 68.64 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यहां 65.23 प्रतिशत वोट पड़े थे। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता इस सीट से किस उम्मीदवार को चुनकर मध्य प्रदेश की विधानसभा पहुंचाती है।
उपचुनाव के नतीजे
2020 के उपचुनाव में यहां भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सुरेश राजे ने कांग्रेस से भाजपा में गई इमरती देवी को दिलचस्प मुकाबले के बाद हरा दिया। ये भी तब हुआ, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इमरती देवी को जिताने के लिए ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया था। उस चुनाव में राजे को 75,689 वोट मिले, जबकि इमरती देवी को 68,056 वोट मिले थे। इस तरह इमरती देवी 7,633 वोटों से चुनाव हारी थीं। अब इस बार भी भाजपा ने इस सीट पर इमरती देवी को ही अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट से मौजूदा विधायक सुरेश राजे को फिर से टिकट दे दिया है। यही कारण है कि इस बार भी यहां मुकाबला दिलचस्प होगा।
डबरा सीट का इतिहास
बता दें कि डबरा विधानसभा सीट पर 2008 से कांग्रेस का कब्जा है। 2020 की हार को छोड़ दिया जाए तो इमरती देवी ने कांग्रेस के टिकट पर 2018, 2013 और 2008 में जीत दर्ज की थी। इससे पहले यह सीट भाजपा के पास थी। यहां से भाजपा के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा 2003 और 1998 में चुनाव जीत चुके हैं। परिसीमन में ये सीट आरक्षित हो गई और ये सीट अनुसूचित जाति के खाते में चली गई।
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भाजपा की इमरती देवी
2020 की हार को छोड़ दिया जाए तो इमरती देवी ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर साल 2018, 2013 और 2008 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इमरती देवी कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रही हैं। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का कट्टर समर्थक माना जाता है। यही कारण है कि 2020 में सिंधिया के साथ उन्होंने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी और भाजपा के टिकट पर ही डबरा सीट से चुनाव लड़ा था। उस दौरान इमरती देवी ने बड़ा दावा करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को 80 हजार वोटों से जीतने का दावा किया था। उसके बाद भी इमरती देवी को करारी हार देखने को मिली।
कांग्रेस के सुरेश राजे
साल 2020 में सिंधिया के साथ इमरती देवी के बाजपा में शामिल होने के भारतीय जनता पार्टी ने इमरती देवी को डबरा से टिकट दे दिया। पार्टी के इस फैसले से नाराज हुए पुराने नेता सुरेश राजे ने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। जिसके बाद कांग्रस ने उन्हें भी यहां से टिकट दे दिया सुरेश राजे ने उस विश्वास को कायम रखते हुए डबरा सीट पर जीत भी दर्ज की। सुरेश राजे भी 2020 से इस सीट पर विधायक हैं।
डबरा विधानसभा के मतदाता
डबरा का विधानसभा क्रमांक 19 है। विधानसभा में कुल मतदाता 2 लाख 41 हजार 782 हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 27 हजार 329 हैं। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 14 हजार 446 हैं।
डबरा विधानसभा की जनता की आवाज
- अमरौल पंचायत से छीमक तक डबरा विधानसभा लग जाती है। यहां गोवरा पंचायत में रहने वाले लोगों का कहना है कि पंचायत सचिव कभी फंड न होने का हवाला देता है तो कभी कहता है योजना ही बंद हो चुकी है।
- यहां कई लोगों को आवास योजना की किस्त का भी दो साल से इंतजार है। लोगों का कहना है कि योजना के तहत आवास लेना है तो सबसे पहले आवेदन के साथ लिखा पढ़ी के 1500 रुपए, आवास मंजूर होने पर 1.35 लाख में से 15000 कमीशन, फिर फोटो खिंचवाकर निर्माण की किस्त के लिए 5 हजार रुपए देने पड़ रहे हैं। सवाल पूछने पर कहा जाता है कि सीमेंट-रेत और मजदूरी महंगी हो गई, योजना की रकम तो उतनी की उतनी ही है। अब सवाल ये है कि, एक निश्चित अमाउंट में से ही इतना पैसा बांटा जाएगा तो मकान निर्माण की गुणवत्ता क्या होगी ?
- इसी गांव में रहने वाले संतोष कुशवाह का कहना है कि उनके पास खेती बहुत कम थी, इसलिए ट्रैक्टर लेकर उसे आजीविका का साधन बनाया। लेकिन इसकी वजह से कई योजनाओं से बाहर कर दिया। महंगाई बढ़ती जा रही है। इसपर खाद महंगी, सिलेंडर महंगा, डीजल महंगा। सोचिए पहले 400 रुपए डीजल में जितनी जुताई हो जाती थी, उतने के लिए अब 1800 रुपए का डीजल फूंकना पड़ रहा है।
- सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को लेकर सवाल करने पर गांव में ही रहने वाले संतोष का कहना है कि सरकार न जाने क्या सोचकर योजनाएं बनाती है। हमारे 70 घर के गांव में नल-जल योजना पर जितना खर्च किया और पानी नहीं दे पाए, उससे आधे से कम खर्च में घर-घर बोरिंग हो जाती और सबको पानी भी मिलना शुरु हो जाता।
इस बार हर सीट पर कांटे की टक्कर
6 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। उससे पहले 3 दिसंबर को चुनाव आयोग नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लेगा। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। चुनाव से पहले अबतक सामने आए सर्वेक्षणों में ये पता चला है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
Updated on:
03 Dec 2023 09:40 am
Published on:
01 Nov 2023 05:12 pm
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