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नवरात्र 2018 : यहां नौ दिन चलता है कन्या पूजन,भक्तों का यहां हैं खास लगाव

छोटी करौली के नाम से प्रसिद्ध हैं महलगांव का मंदिर

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Kela devi

ग्वालियर। महलगांव स्थित राज राजेश्वरी मां कैला देवी का मंदिर इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर मां कैलादेवी के दर्शन कर मन्नत मांग रहे हैं। यहां नवरात्र उत्सव के दौरान हर रोज कन्या पूजन किया जा रहा है। मां की आरती के साथ ही हर रोज तिथि के अनुसार नौ साल से कम उम्र की कन्याओं का पूजन हो रहा है। नवरात्र की प्रथम तिथि पर एक कन्या का पूजन किया गया है। द्वितीय को दो कन्या। इसी क्रम में हर रोज तिथि की संख्या के आधार पर कन्या पूजन संख्या बढ़ रह रही है। कन्या पूजन कार्यक्रम आरती के दौरान मां के दरबार में होता है।

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मंदिर के महंत युवराज कपिल शर्मा ने बताया कि कुंअर महाराज के आदेशानुसार महंत हीरालाल महाराज करीब १०२ साल पहले राजस्थान के करौली शहर से मां को लेकर आए थे। यहां मां का अद्भुत स्वरूप है। ग्वालियर-चंबल संभाग से श्रद्धावान मां के दर्शनों के लिए हर रोज आते हैं। राजस्थान शहर में विराजमान करौली न पहुंचने पर यहां श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी हो रही है।

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यही कारण है कि इन्हें शहरवासी छोटी करौली वाली माता के नाम से पुकारते हैं। यहां मंदिर में मां चामुंडा देवी और सरस्वती, आसमानी माता, चामड़ माता के दर्शन होते हैं। उनका कहना है कि नौ दिन तक हर रोज मां का अलग-अलग भव्य शृंगार होता है। अष्टमी की रातभर हवन होता है सुबह नवमी को लक्खी मेला लगता है। यहां नवमी को विशेष उत्सव मनाया जाता है।

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नौ दिन रात में चार घंटे बंद होते हैं दरबार के पट
नवरात्र के दिनों में मां के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर के पुजारी प्रमोद शर्मा का कहना है कि मां को ब्रह्म मुहूर्त में जगाया जाता है। सुबह पांच बजे से दर्शनों का सिलसिला शुरू हो जाता है। हवन पूजन के साथ ही सुबह छह बजे मंगल आरती होती है। इसके बाद संध्या आरती सात बजे होती है। इसके बाद मां के पट बंद नहीं होते हैं। रात में एक बजे तक मंंदिर में दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला जारी रहता है। सामान्य दिनों में दोपहर में मां के पट बंद होते हैं।

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नवरात्र में कुंअर महाराज होते हैं मां की सेवा में
महल गांव स्थित कैला देवी मंदिर परिसर में कुंअर महाराज का प्राचीन स्थान है। कुंअर महाराज का दरवार यहां हर सोमवार को लगाया जाता है जिसमें लोगों के कष्टों का हरण होता हैं। नवरात्र के दिनों में कुंअर महाराज स्वयं मां की सेवा में होते हैं। इसलिए नवरात्र में पडऩे वाले सोमवार को कुंअर महाराज का दरवार नहीं लगाया जाता है।