ग्वालियर

दादा ने लगाया केस, एमपी हाईकोर्ट में 49 साल बाद सुनवाई, पोते को करनी पड़ी पैरवी

MP High Court: मध्य प्रदेश के ग्वालियर का चौंकाने वाला मामला, 49 साल बाद पहली बार सुनवाई, यहां लाखों केस पेंडिंग, हाईकोर्ट ने रोस्टर में किया बदलाव, रोस्टर बदलने से जानें आपके लिए क्या बदला?

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MP High Court Gwalior (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में न्याय मिलने की राह इतनी लंबी हुई कि केस लड़ने वाले दादा की मौत के बाद पोते को पैरवी पर आना पड़ा।

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1971 में जिला कोर्ट से शुरू हुआ था संपत्ति विवाद

संपत्ति विवाद का मामला 1971 में जिला कोर्ट से शुरू हुआ, जिस पर 1973 में फैसला आया। फिर फरियादी सैय्यद हबीब शाह ने 1976 में हाईकोर्ट में प्रथम अपील की। 49 साल तक सुनवाई की तारीख ही नहीं मिली। अब जाकर कोर्ट की रोस्टर व्यवस्था में बदलाव से मुकदमें में बहस शुरू हो सकी।

हाईकोर्ट ने बदला रोस्टर, जानें आपके लिए क्या बदला

49 साल बाद पहलीब बार सुनवाई का कारण है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने रोस्टर में बदलाव किया है। जिसके बाद अब कोई भी केस जो अब तक पेंडिंग पड़े हैं, बरसों से उन पर सुनवाई नहीं की गई है या फिर लंबे समय बाद भी उनका परिणाम नहीं निकल पाया है, तो ऐसे केसों में अब कोर्ट को सुनवाई के लिए तारीख देनी होगी। ताकि बरसों से पेंडिंग इन केसों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। ऐसे में अगर जिनके केस लंबे समय से पेंडिंग चल रहे हैं, हाईकोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दे दी है।

MP High Court Case Status Gwalior

मध्य प्रदेश में 4.85 लाख से ज्यादा मामले लंबित

मध्य प्रदेश में 4.85 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। कई तो ऐसे हैं जिनमें, वर्षों से सुनवाई ही नहीं हुई। एक जानकारी के अनुसार, ग्वालियर खंडपीठ में सिविल के 51,987 तो क्रिमिनल के 37,948 मामले लंबित हैं। लोगों का सारा जीवन केस लड़ते-लड़ते बीत रहा है।

Published on:
17 Jul 2025 10:20 am
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