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फीस निर्धारण: निजी कॉलेजों में आयोग तय करेगा प्रोफेशनल कोर्सों की फीस

locationग्वालियरPublished: Jan 21, 2018 11:40:30 am

Submitted by:

Gaurav Sen

निजी विश्वविद्यालयों में संचालित पाठ्यक्रमों की फीस निर्धारण का मामला मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग और प्रवेश

jiwaji university

ग्वालियर। निजी विश्वविद्यालयों में संचालित पाठ्यक्रमों की फीस निर्धारण का मामला मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग और प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के बीच अटका हुआ है। निजी विश्वविद्यालयों की फीस निर्धारण की प्रक्रिया में एक्ट की अड़चने आने लगी हैं।


आयोग का कहना है कि उसे फीस की समीक्षा का अधिकार है कमेटी की दलील है प्रोफेशनल कोर्सों की फीस तय करने का अधिकार उसके पास है। विरोधाभासों के बीच आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि वो निजी विश्वविद्यालयों की फीस खुद तय करेगा और प्रक्रिया अप्रैल से शुरू की जाएगी। दरअसल निजी विवि की फीस निर्धारण को लेकर एक साल से आयोग और कमेटी के बीच विवाद बना है।


फीस के लाखों रुपए चुकाए छात्रों ने
सूत्रों की मानें तो दोनों विभागों के बीच यह विवाद तब और गहरा गया जब उच्चशिक्षा विभाग ने निजी कॉलेजों में संचालित प्रोफेशनल कोर्सेस की फीस तय करने की जिम्मेदारी कमेटी को सौंपने की बात कही। फिलहाल दोनों अपनी-अपनी बात पर डटे हुए हैं।


क्या कहता है एक्ट

फीस कमेटी का एक्ट कहता है कि सभी प्राइवेट संस्थानों में संचालित प्रोफेशनल कोर्सेस की फीस तय करने का अधिकार उसी के पास है लेकिन निजी विवि की फीस तय करने की जिम्मेदारी आयोग उठाता आ रहा है।

 

अभी तक आयोग निजी विवि में संचालित पाठ्यक्रमों की फीस की समीक्षा करता आया है, लेकिन अब आयोग छात्रों के हितों का ध्यान रखते हुए फीस खुद तय करेगा, यह प्रक्रिया अप्रैल से शुरू कर दी जाएगी।
प्रो.अखिलेश पांडे, चैयरमैन,मप्र निजी विवि विनियामक आयोग

 


संबद्धता बचाने नहीं मिल रहे पीएचडी व नेट पास शिक्षक, जेयू की शर्त पर हड़बड़ाए संचालकों ने डीसीडीसी से की मुलाकात

ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी ने अंचल के कॉलेजों को संबद्धता के लिए ३१ जनवरी तक एमपी ऑनलाइन से फीस जमा करने के निर्देश दिए हैं। फरवरी में निरीक्षण टीमें गठित कर कॉलेज प्राचार्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए फॉर्मेट की जानकारियों का वेरीफिकेशन कराने के साथ मौके पर पूरे काम की वीडियो व फोटो ग्राफी की जाएगी, लेकिन इससे पहले जेयू की एक शर्त ने कॉलेजों की संबद्धता पर संकट खड़ा कर दिया है।


शर्त के अनुसार जिस कॉलेज के पास परिनियम 28/17 में नियुक्त शिक्षक होंगे, उसी को संबद्धता मिलेगी। शर्त के अनुसार टीचर का पीएचडी और नेट धारक होना भी जरूरी है। यह नियम यूजीजी के साथ एनसीटीई ने विगत वर्ष जारी किया था, लेकिन सख्ती से इसका पालन इस सत्र 2018-19 में किया जा रहा है। घबड़ाए कॉलेज संचालकों ने डीसीडीसी प्रो. डीडी अग्रवाल से बात की, लेकिन उन्होंने भी सख्ती से नियम का पालन करने की हिदायत दी। वहीं कॉलेज संचालकों का कहना है पीएचडी और नेट धारक शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।

मांग 3500 की, 300 भी उपलब्ध नहीं
कॉलेज संचालकों के अनुसार अंचल में 450 निजी कॉलेज हैं, जिनमें करीब ८० कोर्स चलते हैं। इसके लिए लगभग 3500 टीचर्स की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में 300 शिक्षक भी उपलब्ध नहीं हैं। जो टीचर नेट व पीएचडी धारक हैं, वे अधिक वेतन मांगते हैं। कॉलेजों में कम छात्र होने की वजह से इतना वेतन नहीं दे पा रहे।


&हम उसी कॉलेज को संबद्धता देंगे जो तय मानकों को पूरा करेगा। जिन कॉलेजों के पास योग्य टीचर नहीं हैं, उन्हें संबद्धता के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए। अब फर्जीवाड़ा नहीं चलेगा।
प्रो. डीडी अग्रवाल, डीसीडीसी, जेयू

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