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हेडमास्टर साहब घर पर, पत्नी पढ़ाने जाते थी स्कूल में

मामले के अनुसार हेडमास्टर की जगह पत्नी स्कूल में पढ़ाने जाती थी। शिकायत के अाधार पर शिक्षा विभाग ने जांच के लिए टीम बनाई लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई ना होना विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगाती है।

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Avdesh Shrivastava

Jul 29, 2017

education department

education department

ग्वालियर.
शिक्षा
विभाग के अफसर कितने लापरवाह
है। यह उदाहरण बड़ागांव स्थित
शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय
बना हुआ है। इस विद्यालय के
हेडमास्टर दीपचंद के स्थान
पर उनकी पत्नी दीपा कार्यभार
संभाल रही थी।


हेडमास्टर
की पत्नी द्वारा छात्राओं के
साथ मारपीट की जाती थी। इस बात
की शिकायत स्थानीय लोगों ने
मानव अधिकार आयोग से की। जनवरी
माह में मानव अधिकार आयोग की
टीम ने मामले को संज्ञान में
लिया और पूरे मामले की जानकारी
शिक्षा विभाग को दी। शिक्षा
विभाग के अधिकारियों ने मामले
की जांच के लिए दो प्राचार्य
को नियुक्ति किया। छह महीने
का समय व्यतीत हो जाने के बाद
जिला शिक्षा अधिकारी विकास
जोशी जांच के लिए दिए गए आदेश
का फॉलोअप लेना भूल गए।


इस पूरे
मामले की जांच का दायित्व
प्राचार्य एमके जैन और प्रायार्च
पीसी गुप्ता है। शिकायत के
बाद कई दिनों तक हेडमास्टर
ने स्वास्थ्य खराब होने की
बात कहकर अवकाश पर चले गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि
हेडमास्टर दीपचंद स्कूल आते
है। उनके साथ कई बार उनकी पत्नी
भी आती है। अब सवाल उठता है कि
छह महीने से अनुपस्थित हेडमास्टर
के खिलाफ कोई कार्रवाई विभागीय
अफसर क्यों नहीं करना चाहते
हैं।


जवाब देने
से कतरा रहे अधिकारी


इस पूरे
मामले में जब पत्रिका ने जांच
कमेटी के दल से बातचीत की तो
वे जवाब देने में बंगलें झांकते
रहे। वही जिला शिक्षा अधिकारी
विकास जोशी से बातचीत की तो
वे भी स्पष्ट तौर पर जवाब नहीं
दे सके। इस पूरे मामले में लोक
शिक्षण संचानालय आयुक्त नीरज
दुबे से बातचीत करनी चाही तो
उनका मोबाइल रिसीव नहीं हो
सका।