Green signal... NOC received from Board, Airforce, Archeology, contract of 462 crores also done -रेलवे बोर्ड, एयरफोर्स, ऑर्कियोलॉजी आदि से मिली एनओसी-462 करोड़ का ठेका हुआ, अब शुरू होगा काम
ग्वालियर। एतिहासिक ग्वालियर रेलवे स्टेशन को पुनर्विकास केे लिए रेलवे बोर्ड ने 462.79 करोड़ रुपए का ठेका दिया है। रेलवे स्टेशन का निर्माण अगले 40 वर्ष तक प्रतिदिन 1 लाख 40 हजार यात्री संख्या को ध्यान में रखकर होगा। स्थानीय कला और स्थापत्य को लक्षित करके करके 48 हजार 61 वर्गमीटर क्षेत्रफल में इमारत आदि बनेंगीं। निर्माण के लिए इंडियन एयरफोर्स, नगर निगम, ऑकियोलॉजी, फॉरेस्ट, बिजली आदि से जरूरी अनापत्ति प्रमाणपत्र भी मिल गए हैं। ठेका मिलने के बाद 16 नवंबर से ठेकेदार ने परफॉर्मेंस गारंटी जमा कराने की प्रोसेस शुरू करके साइट ऑफिस की जगह भी चिन्हित कर ली है।
सब कुछ सही रहा तो जल्द ही रेलवे स्टेशन के अविवादित क्षेत्र में काम शुरू हो जाएगा। यह जानकारी रेलवे के अधिकारियों ने दिशा की बैठक में समीक्षा के दौरान दी। अधिकारियों ने बताया कि सामान्य प्रक्रिया के साथ ही ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन, दिव्यांग फ्रेंडली फैसिलिटीज, स्कॉडा और बीएमएस सिस्टम, सोलर पैनल, रेन वॉटर हॉर्वेस्टिंग, वेस्ट वॉटर रीयूज, सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट और फायर फाइटिंग अरैंजमेंट के अलावा इमरजैंसी पॉवर बैकअप की सुविधाओं को भी स्टेशन पर रखे जाने का प्रस्ताव है। इन सुविधाओं को यात्री संख्या और सुविधा को प्राथमिकता देकर ही तैयार कराया जाएगा।
यह है वर्तमान स्थिति
-रेलवे बोर्ड ने 15 अक्टूबर को एस्टीमेट स्वीकृत कर दिया है।
-17 अक्टूबर को 462.79 करोड़ रुपए का कांट्रेक्ट अवॉर्ड हुआ है।
-16 नवंबर को कांट्रेक्टर ने परफॉर्मेंस गारंटी सबमिट कराने की प्रोसेस शुरू की है।
-अस्थाई प्रयोगशाला और साइट ऑफिस के लिए कांट्रेक्टर ने स्थान चयनित कर लिया है।
इन्होंने दी प्लान को मंजूरी
-नॉर्थ सेंट्रल रेलवे और नगर निगम ग्वालियर ने रेलवे स्टेशन के मास्टर प्लान को अप्रूव कर दिया है।
-रेलवे स्टेशन का निर्माण करने के लिए एयरफोर्स से हाइट क्लीयरेंस मिल चुका है।
-ऑर्कियोलॉजी निदेशालय से रेलवे स्टेशन रीडवलपमेंट से एनओसी मिल चुकी है।
-निर्माण में बाधक पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग से एनओसी मिल चुकी है।
-नगर निगम से जलापूर्ति की मांग को पूरा करने की अनुमति मिल चुकी है।
-मध्यप्रदेश मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से बिजली की मांग को पूरा करने का क्लीयरेंस मिल चुका है।