
जुनून: खुद ने जीते कई मेडल, मूक बधिर शिष्या ने लहराया विदेश में परचम
धार. भाई को बैडमिंटन खेलकर बहन का जुनून भी जागा। बहन ने 1992 में बैडमिंटन का पहली मिनी नेशनल मैच खेल लिया। धार की रहने वाली रश्मि खेडेकर वर्तमान में भोपाल में कोच की सेवाएं दे रही है। रश्मि का कहना है कि भाई योगेंद्र खेडेकर ने कई मैडल जीते। उनके मैडल देखकर लगा मुझे भी जीतना है। उसी दिन ठान लिया था कि बैडमिंटन के क्षेत्र में ही परचम लहराना है। शादी के पहले पिता एसएस खेडेकर और माता गोपीबाला खेडेकर का सहयोग मिला ।
शादी के बाद ससुर मदनलाल मालवीय, सास विमला मालवीय जिनका अब निधन हो गया है। पति हेमंत मालवीय का सहयोग रहा। रश्मि ने धार में 10 साल की उम्र से खेलना शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। इसके बाद 2006 तक मप्र का प्रतिनिधि करते हुए मिनी जूनियर, सब जूनियर, सीनियर, स्कूल नेशनल विजेता-उपविजेता का खिताब हासिल किया। कालेज स्तर पर भी कई गोल्ड औश्र सिल्वर मैडल जीते है। 1992 में लड़कियों को खेलों में भेजा नहीं जाता था, लेकिन परिजनों ने पूरा सहयोग दिया। 2006 में शादी के बाद भोपाल शिफ्ट हो गई। बैडमिंटन में डिप्लोमा करने के बाद रश्मि भोपाल के टीटी नगर में कोच है। 2006 से 2022 तक प्रियंका पंथ, इशान पंथ, धीरेंद्र कुशवाह, पीयूष वर्माएआदिती वर्माए अनिशा वासे, ऋ षभ ये सभी खिलाड़ी मप्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
खिलाड़ी के लिए सीखना पड़ी साइन लैंग्वेज
रश्मि बताती है कि 2014 में उनके पास गौरांशी शर्मा समर कैंप में आई। गौरांशी मूक बधिर है और उसने बैडमिंटन चुना। उसे समझने और समझाने के लिए साइन लैंग्वेज भी सीखना पड़ी। 2016 से लेकर 19 तक मप्र की नंबर खिलाडी बनी और कई मैडल जीते। 2019 में गौरांशी ने सेकंड डेप्थ चैंपियनशिप खेली। इसके बाद गौरांशी की इच्छा ओलपिंक खेलनेे की हुई। चाइन के ओलंपिक में भी शर्मा ने भाग लिया। उसे इशारों में ही प्रशिक्षण दिया जाता था। इसके बाद थोडी भाषा भी सीखी। 2022 में इवेंट में गौरांशी ने फिर गोल्ड मैडल झटका।
Published on:
29 Aug 2022 01:31 am
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