सर्व पितृ अमावस्या 25 को: भूले-बिसरे पितरों का कर सकेंगे श्राद्ध, पिंडदान
ग्वालियर. पितृपक्ष के अंतिम दिन 25 सितंबर को पितृमोक्ष अमावस्या है। यह दिन पितरों की विदाई का होता है। इस अमावस्या का उन लोगों को विशेष इंतजार रहता है, जिन्हें अपने किसी पितृ की तिथि ज्ञात नहीं है। शास्त्रों में ऐसे पितरों के निमित्त इसी दिन तर्पण, श्राद्ध और दान करने का उल्लेख है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन दीप दान और पिंड दान का विशेष महत्व है। सभी चाहते हैं कि उनके पितृ खुश होकर रवाना हों और उनके निमित्त वे जो अनुष्ठान कर रहें हैं, वह मंगलकारी हो। संयोगवश पितृ-मोक्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि, रवि, बुधादित्य और कन्या राशि में चतुग्रही योग का संयोग रहेगा। इन योगों के चलते किए कर्मकांड शुभ फलदायी रहेंगे।
लक्ष्मीबाई कॉलोनी में होगा सर्व पितृ तर्पण महायज्ञ
सर्व पितृ अमावस्या पर 25 सितंबर को सुबह 7 बजे से लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित कम्युनिटी हॉल परिसर में सर्व पितृ तर्पण महायज्ञ किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डॉ.अनिल कुमार वाजपेयी ने बताया कि कनागत के दौरान यदि जानकारी के अभाव में किसी व्यक्ति द्वारा अपने पूर्वजों को पानी देने में कोई कमी रह जाती है, तो वह इस कार्यक्रम में शामिल होकर पूर्ण विधि-विधान के साथ तर्पण कर सकता है। यह कार्यक्रम पूरी तरह नि:शुल्क रहता है, इसमें तर्पण में उपयोग की जाने वाली सामग्री भी श्रद्धालु को उपलब्ध कराई जाएगी। वैदिक विद्वान डॉ. सुनील शर्मा और पंडित सत्यप्रकाश दुबे की मौजूदगी में तर्पण का कार्यक्रम कराया जाएगा। कार्यक्रम में मौजूद वॉलेंटियर तर्पण करने वाले लोगों को सही तरीके से तर्पण करने की विधि भी बीच-बीच में समझाते चलेंगे।
दान-पुण्य के साथ मनाई इंदिरा एकादशी
पितृपक्ष के दौरान आश्विन कृष्ण एकादशी बुधवार को पुष्य नक्षत्र व परिघ योग में इंदिरा एकादशी का व्रत किया गया। इस एकादशी को दिवंगत साधु-संत वैष्णव जनों का तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। इसके साथ ही पावन दिन में श्रीहरि विष्णु और सत्यनारायण स्वामी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। एकादशी व्रत करने से श्रद्धालुओं को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी पापों को नष्ट व पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली होती है। एकादशी पर शहर के मंदिरों में भी श्रद्धालु पहुंचे और दान-पुण्य किया।
अमावस्या पर दान पुण्य करने से मिलती है पितरों को तृप्ति
वेदाचार्य डॉ.भैरव दत्त त्रिवेदी ने बताया कि पितरों के निमित्त सर्वाधिक कर्मकांड 25 सितंबर पितृमोक्ष अमावस्या पर होंगे। इस दिन ऐसे लोग भी अपने उन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान व श्राद्ध करते हैं जिनकी तिथि उन्हें ज्ञात नहीं है। जो लोग समयाभाव के कारण पितृपक्ष में तर्पण नहीं कर पाते हैं, वे अमावस्या पर करते हैं। मान्यता यह है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। पितरों के तर्पण के बाद गाय को हरा चारा या पालक खिलाने से पितरों को संतुष्टि मिलती है। इस दिन अन्न, चांदी, नमक, घी और गुड़ के दान का भी काफी महत्व है।