
बच्चों को भक्ति की शिक्षा दे, वही सच्चे माता-पिता : संत राम प्रसाद
ग्वालियर. माता-पिता को चाहिए कि उनकी संतानें भक्त बने एवं समाज सेवा करें वही सच्चे माता-पिता है। उक्त विचार अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संत रामप्रसाद महाराज ने लक्ष्मीगंज स्थित रामद्वारा में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा को श्रवण कराते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कथा प्रसंग में कहा कि भगवत नाम लेने से हमारी अनेक व्याधियां एवं उपाधियों का नाश हो जाता है इसलिए व्यक्ति को भगवत नाम का आश्रय लेना चाहिए। भक्त प्रहलाद की कथा में उन्होंने कहा कि जो माता-पिता एवं गुरु भगवान की भक्ति करने से रोकते हैं, उनकी बात नहीं मानना चाहिए। भक्त प्रहलाद को उनके पिता ने भगवान की भक्ति करने से रोका फिर भी भक्त प्रहलाद अपने पिता की बात न मानकर भक्ति में लगे रहे और विपत्ति आने पर भगवत नाम का आश्रय किया तो भगवान ने प्रहलाद की रक्षा करने के लिए खंभे में से प्रकट होकर नरसिंह रूप में भक्त प्रहलाद की रक्षा की एवं राक्षस का वध किया। भगवत नाम का जिन्होंने आश्रय लिया है उनके जीवन में तो हमेशा परम शांति की प्राप्ति हुई है। अजामिल की कथा को श्रवण कराते हुए संत रामप्रसाद ने बताया जाने-अनजाने में भी जो भगवत नाम का आश्रय लेते हैं तो उनकी समस्त विपत्तियों का नाश हो जाता है।
बच्चों के जीवन में संस्कार जरूर दें
संत रामप्रसाद ने नरसिंह अवतार के प्रसंग की कथा कहते हुए कहा कि बच्चों के जीवन में माता-पिता को संस्कार जरुर डालना चाहिए। संस्कारी बालक ही माता-पिता का नाम रोशन करता है, समाज के साथ-साथ राष्ट्र का नाम भी रोशन करता है। इसलिए बच्चों को धन देने की बजाय अच्छे संस्कार देने का पुरुषार्थ माता-पिता को करना चाहिए अच्छे संस्कार ही राष्ट्र की उन्नति में सहायक हो सकते हैं। संस्कारी बालक पूरे कुल का उद्धार करता है। भक्त प्रहलाद जैसे पुत्र ने अपने राक्षस पिता हिरण्यकश्यप के कुल का परमात्मा की भक्ति कर उद्धार किया।
Published on:
28 Apr 2023 11:13 pm
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