सजा पूरी होने के बाद जासूस को जेल में नहीं रखा जा सकतापुलिस जासूस को हवालात में नहीं रख सकती
ग्वालियर। पाकिस्तानी जासूस अब्बास उर्फ माजिद खां को जेल से रिहा होने के बाद बिना रुके पाकिस्तान की सरहद में भेज दिया जाए। जेल और पुलिस दोनों इस कोशिश में लगे हैं।
दरअसल दोनों विभाग उलझन में हैं कि जासूसी की वापसी की कार्रवाई में देर हुई तो उसे किसकी निगरानी में रखा जाएगा। सेंट्रल जेल के अधिकारी साफ पल्ला झाड रहे हैं कि सजा पूरी होने के बाद जासूस को जेल में नहीं रखा जा सकता। उसे वापस भेजना पुलिस की जिम्मेदारी है।
इसलिए जासूस को इंदरगंज पुलिस के हवाले किया जाएगा। वही जासूस को वापस भेजने का इंतजाम करेगी। पुलिस के लिए मामला परेशानी की वजह है। क्योंकि इससे पहले बांग्लादेशी घुसपैठिए अहमद अल मक्खी के मामले में उसकी किरकिरी हो चुकी है।
घुसपैठ मामले में सजा पूरी करने के बाद अलमक्खी सजा पूरी करने के बाद करीब दो साल तक पडाव थाने में मेहमानी करता रहा था। इस दौरान सरहद पार से उसके हिमायती पैसा भेजते थे उसके बूते पर उसने पडाव पुलिस के हवलदार सहित कुछ पुलिसकर्मियों को फंसा लिया था।
पुलिसकर्मियों पर घुसपैठिया जमकर पैसा लुटाता था तो उसे ऐशो आराम मुहैया कराए गए थे। यहां तक की घुसपैठिए को हवलदार ने बेटे के नाम पर सिम तक मुहैया कराई थी। उसके बूते पर अलमक्खी बेधडक़ इंटरनेट का इस्तेमाल करता था। जब उसकी कारगुजारी पकडी गई तो घुसपैठिया भाग गया था।
अब अब्बास की सजा पूरी होने के बाद उसे थाने में रखा जाता है तो पुलिस को हर वक्त उस पर निगरानी करना होगी। सजा पूरी होने के बाद जासूस को थाने की हवालात में भी नहीं रखा जा सकता।
जासूस थाने में रहेगा तो पुलिस की गतिविधियों को भी भांपेगा। हालांकि पुलिस अधिकारी कहते हैं कि सजा पूरी होने से पहले ही उसे पाकिस्तान की सरहद में भेजा जाएगा।
इसकी सभी तैयारियां उसके रिहा होने से पहले पूरी की जा रही है। इंदरगंज थाने के उपनिरीक्षक को जासूस की वापसी से ताल्लुक जानकारी और नोडयूस सहित प्रदेश गृहमंत्रालय भेजा गया है।