
hanuman
ग्वालियर। प्रदेश का इकलौता मंदिर है जहां ११वीं शताब्दी की मां चंडी के साथ हनुमान प्रतिमा स्थापित है। यह हनुमान मंदिर आस्था का केंद्र है। जैन अतिशय क्षेत्र के साथ विश्व प्रसिद्ध ककनमठ जैसे पर्यटन व धार्मिक स्थलों के बीच हनुमान मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र बन रहा है। बताया जाता है कि अंचल में मां चंडी के साथ हनुमानजी की प्रतिमा का यह इकलौता और सबसे प्राचीन मंदिर है। हनुमानजी के साथ मां चंडी के एक साथ दर्शन को शुभ माना जाता है।
यहां पूजा-अर्चना व दर्शन करने से वैभव के साथ समृद्धि भी बढ़ती है।नवरात्र,हनुमान जयंती,बढ़वा मंगल के अलावा प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को यहां पूजा होती है। मंदिर का निर्माण 50 साल पूर्व तत्कालीन सिहोनिया थाना प्रभारी ने कराया था।
माना जाता है कि थाना प्रभारी को स्वप्न में इस प्रतिमा के बारे में जानकारी मिली थी और उसी आधार पर खुदाई करके प्रतिमा निकालकर मंदिर का निर्माण कराया गया। तब पूजा-पाठ का यह सिलसिला निरंतर चला आ रहा है। इस प्रतिमा को आकार हनुमानजी के राम और लक्ष्मण की तलाश में पाताल लोक में अहिरावण के महल में जाने के समय के प्रसंग का है।
यहां मां चंडी को बलि दी जानी थी,लेकिन हनुमानजी ने अपना परिचय देकर भोग लगाने के समय चंडी को अपनी ताकत से नीचे दबा दिया था और स्वयं देवी की जगह बैठकर बाद में राम-लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से मुक्त करा लाए। इसीलिए इस मंदिर की मान्यता अधिक है। एक दशक से यहां लोग आपसी सहयोग से अखंड रामायण पाठ भी कर रहे हैं।
Published on:
29 Nov 2017 12:43 pm
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