इस स्वरचित काव्य पाठ प्रतियोगिता में स्टूडेंट्स ने समाज में धर्म के नाम पर हो रही लड़ाइयों से द्रवित होकर भी कविता लिखी। एक प्रतिभागी स्टूडेंट ने कुछ ऐसे बयां किया हमने फहराया तिरंगे को अपनी पूरी शान से हमे मिली आजादी वीरों के बलिदान से। अलग-अलग धर्मों की बातें कौन देश में करता है। साथ खड़े हो लोग सभी देश तभी बनता है। सरहदों की रखवाली तो सेना अपनी करती है। वो एक गोली भी सीनें में लगने से पहले लाखों दफा डरती है…। वहीं गांधीजी पर भी कई प्रतिभागियों ने कविता लिखी। जिनमें से एक थी सब कहते हैं बापू उसको, नाम उसका गांधी था। अहिंसा का ले अस्त्र, जिसने अपना देश बचाया था। काम ऐसा कि अंग्रेजों ने सर झुकाया था, विद्रोह था हमेशा, अंग्रेजों के खिलाफ। मगर न लिया कभी, ंिहसा का साथ। लाठी लेकर सिखाया, अहिंसा और सत्य है धर्म हमारा।