https://www.patrika.com/hanumangarh-news/ हनुमानगढ़. इस बार सर्द माहौल में सरसों की फसल को बचाने की चुनौती रहेगी। वर्तमान में जिले की अगेती सरसों फसल में कहीं-कहीं पाला पडऩे की सूचना मिली है। इसका प्रतिशत हालांकि अभी पांच-सात ही है। इसलिए अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। पाला पडऩे की स्थिति में इस फसल को कैसे बचाया जाए, इसकी तकनीकी जानकारी देने में कृषि विभाग की टीम जुटी हुई है। वर्तमान में जिले में बादलवाही का मौसम होने से पाला पडऩे की ज्यादा आशंका नहीं है।
सर्द माहौल में सरसों की फसल को बचाने की चुनौती
-पाला व शीतलहर से फसल खराबा होने की स्थिति में विशेष गिरदावरी करवाने को लेकर सरकार ने जारी किया निर्देश
-जिले में इस बार गेहूं की तुलना में सरसों बिजाई पर रहा किसानों का ज्यादा जोर
हनुमानगढ़. इस बार सर्द माहौल में सरसों की फसल को बचाने की चुनौती रहेगी। वर्तमान में जिले की अगेती सरसों फसल में कहीं-कहीं पाला पडऩे की सूचना मिली है। इसका प्रतिशत हालांकि अभी पांच-सात ही है। इसलिए अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। पाला पडऩे की स्थिति में इस फसल को कैसे बचाया जाए, इसकी तकनीकी जानकारी देने में कृषि विभाग की टीम जुटी हुई है। वर्तमान में जिले में बादलवाही का मौसम होने से पाला पडऩे की ज्यादा आशंका नहीं है। भविष्य में मावठ की संभावना भी जताई गई है। परंतु फिर भी विभागीय अधिकारी किसानों को तकनीकी जानकारी देकर पाला पडऩे की स्थिति में फसल बचाने के बारे में जागरूक कर रहे हैं। राज्य सरकार ने भी जिले में पाला पडऩे व शीतलहर से फसल प्रभावित होने की स्थिति में विशेष गिरदावरी करवाने को लेकर गुरुवार को निर्देश जारी कर दिया है।
इसके बाद जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने सभी एसडीएम को इस बारे में अवगत करवा दिया है। जल्द खराबे का प्रारंभिक आंकलन करके इसकी सूचना सरकार को भिजवाई जाएगी। जिले में इस वर्ष लगभग 225000 हैक्टेयर में सरसों फसल की बिजाई हुई है। जो गत वर्षों की तुलना में लगभग दोगुणा है। सरसों के अच्छे बाजार भाव एवं सिंचाई जल की कमी के चलते कृषकों का रुझान सरसों की खेती की तरफ बढ़ा है। बड़े पैमाने पर बिजाई के बाद कृषि विभाग अब अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के प्रयास में है। चालू वर्ष में सरसों फसल की जिले में औसत उत्पादकता पांच क्विंटल प्रति बीघा प्राप्त कर गत वर्षों की तुलना में सरसों का दो गुणा उत्पादन प्राप्त करने का लक्ष्य विभाग ने निर्धारित किया है।
1650 करोड़ की आर्थिक भागीदारी
सरसों के वर्तमान बाजार भाव से गणना की जाए तो 1650 करोड़ रुपए की आर्थिक भागीदारी जिले की अर्थव्यवस्था में अकेले सरसों उत्पादन से सुनिश्चित हो सकती है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। तिलहन आधारित उद्योग धंधों को भी बढ़ावा मिलेगा। किसानों के साथ ही मजदूरों को भी लाभ मिलेगा।
यह रखें सावधानी
सरसों फसल की बिजाई के पचास दिन बाद ट्राइकोडरमा पांच एमएल व स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस पांच एमएल लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। साथ ही 60 से 65 दिन बाद प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी/ टेबुकेनाजॉल 25 प्रतिशत ईसी एक एमएल प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने पर ठीक रहता है। कृषि अधिकारियों के अनुसार सरसों के पौधों की स्वस्थ एवं अच्छी बढ़वार के लिए यह अति आवश्यक है कि फसल में अच्छा वायु संचार हो तथा सूर्य की रोशनी पौधोंं के बीच तक पहुंचे।
तो पाले से नुकसान की आशंका
खेतों में आवश्यकता से अधिक पौधे संख्या अथवा सघन फसल की स्थिति में पौधों की स्वस्थ एवं अच्छी बढ़वार नहीं होती है। खेत में सिंचाई के बाद लम्बे समय तक आवश्यकता से अधिक नमी बनी रहती है। इसके कारण तना गलन एवं वाइट रस्ट रोग के प्रकोप की आशंका बढ़ जाती है। इसके लिए प्रथम सिंचाई से पूर्व या उसके बाद आवश्यकता से अधिक पौधों की छंटाई कर विरलीकरण अवश्य करना चाहिए। जब न्यूनतम तापक्रम चार डिग्री सैल्सियस तक पहुंच जाए व उत्तर दिशा से ठंडी हवा चल रही हो तथा आसमान साफ हो तो सरसों की फसल को पाले से नुकसान की आशंका हो जाती है।
....वर्जन...
अगेती सरसों फसल में कहीं-कहीं पाला पडऩे की सूचना है। पाले से फसल को बचाने के बारे में किसानों को जागरूक कर रहे हैं। तकनीकी सलाह को अपनाकर किसान सरसों का अधिकाधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जिले में इस बार गेहूं की बजाय सरसों की अािधक बिजाई हुई है।
-दानाराम गोदारा, उप निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़