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Hanumangarh Farmers Protest: तो क्या बंद होगी इथेनॉल फैक्ट्री? CM भजनलाल से मिलकर समाधान निकालने की मांग

टिब्बी के राठीखेड़ा में निर्माणाधीन इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर जिला प्रशासन और फैक्ट्री बचाओ संघर्ष समिति के बीच कलक्ट्रेट में करीब दो घंटे वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। प्रशासन ने उच्चस्तरीय जांच का आश्वासन दिया, जबकि संघर्ष समिति ने फैक्ट्री बंद करने की मांग दोहराई।

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Hanumangarh Farmer Protest

वार्ता करते हुए अधिकारी और किसान (फोटो- पत्रिका)

हनुमानगढ़: टिब्बी के राठीखेड़ा में निर्माणाधीन इथेनॉल फैक्ट्री मामले में शुक्रवार देर शाम को कलक्ट्रेट सभागार में जिला प्रशासन और फैक्ट्री बचाओ-क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति पदाधिकारियों की वार्ता शुरू हुई। इसमें सीएम का प्रतिनिधि मंडल भी मौजूद रहा। बंद कमरे में हुई वार्ता के क्या नतीजे निकले, इसकी असलियत बताने से सभी परहेज करते नजर आए।

वार्ता जैसे ही शुरू हुई मीडिया को अंदर जाने से रोक दिया गया। इस वजह से बंद कमरे में दोनों पक्षों में किन-किन मुद्दों पर सहमति बनी, इसे लेकर सही स्थिति साफ नहीं हो सकी। माकपा नेता जगजीत सिंह जग्गी ने मीडिया के साथ कुछ जानकारी जरूर साझा की। उन्होंने बताया कि हमने फैक्ट्री को बंद करने की मांग रखी। इस पर जिला प्रशासन ने अस्थाई तौर पर फैक्ट्री बंद करने का आश्वासन दिया।

इस संबंध में जिला प्रशासन से जब लिखित में सहमति पत्र मांगा गया तो अफसरों ने इससे इनकार किया। जग्गी ने बताया कि वार्ता के लिए बुलाकर जिला प्रशासन ने जो कदम आगे बढ़ाया है, हम उसका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति की मांगों को सरकार तक पहुंचाने में कलक्टर नाकाम रहे हैं। दस दिसंबर को टिब्बी महापंचायत में कलक्टर ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया, इसलिए देर शाम को युवा आक्रोशित हो गए।

जग्गी ने आरोप लगाया कि महापंचायत के बाद ग्रामीणों ने आगजनी नहीं की। आंदोलन को कुचलने के लिए रणनीति के तहत कंपनी की ओर से वाहनों में आग लगाने का काम किया गया। जग्गी ने एडीजी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की बयानबाजी हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति की ओर से एक सूत्रीय मांग पत्र, फैक्ट्री को बंद करने की मांग की जा रही है। जब तक इस पर ठोस आश्वासन नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।

जग्गी ने कहा कि इस बारे में लिखित आश्वासन देने के लिए प्रशासन ने थोड़ा वक्त मांगा है। हमें प्रशासन के अगले कदम का इंतजार है। जग्गी ने बताया कि हमारा टिब्बी में चल रहा आंदोलन जारी रहेगा। 17 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कलक्ट्रेट घेरने के आंदोलन को समर्थन देने की बात कही। इससे पहले लोकसभा में मामला उठने के बाद शुक्रवार को राज्य सरकार भी दबाव में नजर आई।

देर शाम को सीएम के प्रतिनिधि मंडल ने संघर्ष समिति को वार्ता का न्यौता दिया। इसमें भाजपा नेताओं के साथ प्रशासनिक अधिकारी शामिल रहे। सादुलशहर विधायक गुरवीर बराड़, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू, विजेंद्र पूनियां, पूर्व जिलाध्यक्ष बलवीर बिश्नोई, देवेंद्र पारीक, पीलीबंगा के पूर्व विधायक धर्मेंद्र मोची, संगरिया के पूर्व विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी, पूर्व उप जिला प्रमुख शबनम गोदारा, संघर्ष समिति के रबजोत सिंह, जगजीत सिंह जग्गी, संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा, एडीजी वीके सिंह, आईजी हेमंत शर्मा, कलक्टर डॉ. खुशाल यादव, एसपी हरिशंकर आदि वार्ता में मौजूद रहे। शाम करीब छह बजे शुरू हुई वार्ता करीब दो घंटे तक चली। लेकिन किसी ठोस नतीजे के बिना संपन्न हुई।

पूर्व विधायक गुरदीप शाहपीनी सहित अन्य ने कलक्टर को सौंपा मांग पत्र

ग्राम राठीखेड़ा तहसील टिब्बी में एथेनॉल प्लांट के विरोध में बनी संर्घर्ष समिति के 15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ कलक्ट्रेट सभागार में शाम छह बजे पुलिस व प्रशासन के साथ हुई वार्ता को लेकर पीआरओ ने रात करीब आठ बजे प्रेसनोट जारी किया। इसमें वार्ता का विवरण देते हुए कुछ जानकारी साझा की गई। इसके अनुसार यह सहमति बनी कि प्रतिनिधिमंडल द्वारा संलग्न ज्ञापन में एथेनॉल प्लांट के संबंध में उठाई गई आशंकाओं/ चिंताओं के संबंध में उच्च-स्तरीय विस्तृत जांच करवाई जाएगी।

इसके बाद संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ चर्चा की जाएगी। ड्यून एथेनोल प्लांट के अधिकारियों ने भी आश्वस्त किया है कि चर्चा उपरांत समाधान निकलने तक वे कार्य नहीं करेंगे। वार्ता विवरण को लेकर जारी पत्र पर संघर्ष समिति के साथ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के हस्ताक्षर भी थे। इस दौरान संघर्ष समिति ने दोबारा समिति की राय से तैयार किया मांग पत्र कलक्टर को सौंपा।

सादुलशहर विधायक गुरवीर बराड़, संगरिया के पूर्व विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी आदि मौजूद रहे। इस मौके पर संगरिया के पूर्व विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी ने बताया कि टिब्बी में फैक्ट्री को लेकर जो आंदोलन हो रहा है, उसे लेकर शुक्रवार शाम को कलक्ट्रेट सभागार में वार्ता हुई। इसमें दोनों पक्षों की ओर से सकारात्मक कदम बढ़ाते हुए एक बार कुछ मांगों पर सहमति बनी है।

उन्होंने बताया कि फैक्ट्री आंदोलन में जो मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें मेरा नाम नहीं है। भूलवश मीडिया में मेरा नाम बताया गया है। संगरिया के पूर्व विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी ने बताया कि फैक्ट्री मामले की वस्तुस्थिति से सरकार को अवगत करवा रहे हैं।

राजनीतिक समीकरणों की वजह से आग बुझाने का प्रयास

टिब्बी में एथेनोल फैक्ट्री के मामले में अभी तक कुछ भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। कलक्ट्रेट में करीब दो घंटे तक चली वार्ता में भी फैक्ट्री संचालन या इसके बंद होने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। बताया जा रहा है कि आगे पंचायतीराज तथा निकाय चुनाव होने वाले हैं। इसलिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को इस मामले में दखलंदाजी करनी पड़ी।

प्रदूषण फैलने का आरोप लगाकर आसपास के ग्रामीण इथेनोल फैक्ट्री लगाने का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों की आशंका को लेकर सरकार के पास किसी तरह का ठोस जवाब नहीं है। आने वाले दिनों में चुनावों में राजनीति समीकरणों को भांपकर राज्य सरकार ने इथेनोल फैक्ट्री आंदोलन की आग को एक बार बुझाने का प्रयास किया है। आगे यह फैक्ट्री चलेगी या फिर इसका निर्माण स्थाई तौर पर रोक दिया जाएगा, यह भविष्य की गर्त में है।

सीएम से मिलकर जल्दी समाधान निकालने की मांग

राठीखेड़ा में निर्माणाधीन इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर स्थानीय किसानों ने अपनी विभिन्न शंकाएं और चिंताएं सरकार तक पहुंचाई हैं। इस संबंध में सुशील गोदारा ने 12 जनवरी को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आग्रह किया कि सरकार किसानों के प्रतिनिधि मंडल से मिलकर पूरे मामले का सकारात्मक समाधान निकाला जाए।

उन्होंने पत्र में कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान वर्ष 2022-23 में विभिन्न विभागों की स्वीकृति व एमओयू के आधार पर यह परियोजना शुरू हुई थी, पर इसके संचालन को लेकर क्षेत्र में जल, भूमि और वायु प्रदूषण की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं।
किसानों का कहना है कि फैक्ट्री से रोजाना लाखों लीटर मीठे पानी का दोहन होगा और केमिकलयुक्त अपशिष्ट के भूमि में प्रवाहित होने से भूजल के खारा व दूषित होने की संभावना है।

निर्माण प्रक्रिया में निकलने वाली राख व चिमनियों से उठने वाला धुआं आसपास की आबादी और वातावरण को प्रभावित कर सकता है। किसानों ने यह भी कहा कि टिब्बी-हनुमानगढ़ क्षेत्र पुरातन सरस्वती (घग्घर) के किनारे स्थित उपजाऊ क्षेत्र है, जहां प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक गेहूं-धान-सब्जियां व बागवानी उत्पाद होते हैं। ऐसे में इस भूभाग का उपयोग खेती के हित में ही होना चाहिए।

किसानों का सुझाव है कि ऐसे प्रोजेक्ट सूरतगढ़-धरमल-बीकानेर की ओर निर्जन क्षेत्रों में लगाए जा सकते हैं, जहां आबादी कम है। इथेनॉल प्लांट कृषि अवशेषों जैसे पराली, सरसों के डंठल, मक्का के अवशेष आदि को खरीदकर उपयोग करेगा, जो किसानों के लिए आय का स्रोत बनेगा। इससे सरकार को राजस्व मिलेगा और क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा। अत: सरकार तुलनात्मक अध्ययन कर स्थानीय किसानों को विश्वास में ले, उनकी भावनाओं के अनुरूप निर्णय ले और पूरे प्रकरण का सकारात्मक समाधान सुनिश्चित करे।


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