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Rajasthan: इथेनॉल फैक्ट्री मामले पर सुमित गोदारा का बड़ा बयान, कहा- फैक्ट्री की बात करते हो… नहर नहीं आने दे रहे थे

प्रभारी मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि यह तो फैक्ट्री है। हमारे बीकानेर में नहर आ रही थी तो लोग नहर नहीं आने देना चाह रहे थे। सड़क बनाने का भी विरोध करते थे। मोबाइल टॉवर आए थे तो लोग कोर्ट में चले जाते थे। कोर्ट को कहना पड़ा कि आखिर जंगल में टॉवर थोड़ी लगेंगे।

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Hanumangarh Minister

प्रेस वार्ता करते प्रभारी मंत्री सुमित गोदारा (फोटो-पत्रिका)

हनुमानगढ़। राज्य सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शनिवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में इथेनॉल फैक्ट्री विवाद प्रमुख मुद्दा रहा। टिब्बी क्षेत्र में प्रस्तावित इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर उठे विरोध के सवाल पर प्रभारी मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि कंपनी ने लिखित रूप में आश्वासन दिया है कि वार्ता में तय बिंदुओं पर समाधान निकलने तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रतिनिधिमंडल को हनुमानगढ़ भेजकर संवाद की पहल की है।

प्रभारी मंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 में यह फैक्ट्री किसके माध्यम से लाई गई, इस पर भी सवाल किए जाने चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी नई परियोजना के आने पर विरोध होना स्वाभाविक है और यह मानवीय प्रवृत्ति का हिस्सा है। मंत्री ने कहा कि विरोध सही है या गलत, इस पर अंतिम टिप्पणी करना उनका कार्य नहीं है। यदि संघर्ष समिति को परियोजना से नुकसान की आशंका है तो सरकार उनसे पुनः बैठक कर समाधान निकालने को तैयार है।

बीकानेर में नहर आने की सुनाई कहानी

अपने अनुभव साझा करते हुए मंत्री गोदारा ने कहा कि बीकानेर क्षेत्र में नहर आने पर भी कभी लोगों ने उसका विरोध किया था। इसी तरह सड़कों और मोबाइल टावरों के निर्माण का भी प्रारंभ में विरोध हुआ, लेकिन समय के साथ लोगों ने इनकी आवश्यकता को समझा। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि लोग जागरूक नहीं हैं, बल्कि हर नई व्यवस्था को स्वीकार करने में समय लगता है। सरकार फैक्ट्री हटाओ संघर्ष समिति से लगातार संवाद कर रही है और सहमति बनने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

मंत्री ने सरकार की गिनाईं उपलब्धियां

प्रेस वार्ता में मंत्री ने सरकार की दो वर्षों की उपलब्धियां भी गिनाईं। उन्होंने कहा कि यह अवधि सुशासन, विकास और विश्वास को समर्पित रही है। पश्चिमी राजस्थान में 3400 करोड़ रुपये की लागत से नहरों समेत जल संरक्षण से जुड़े कार्य कराए जा रहे है। उन्होंने पेपर लीक पर सख्ती, युवाओं को रोजगार और किसानों को 24 घंटे बिजली देने की प्रतिबद्धता का भी उल्लेख किया।

एमओयू रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन

इधर, इथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में आंदोलन तेज करने की घोषणा की गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 17 दिसंबर को जिला कलेक्ट्रेट पर महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया है। किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि फैक्ट्री का एमओयू रद्द होने और दर्ज मामलों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा।


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