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पांच किमी पैदल मार्च निकाल कर जताया रोष, हड़ताल के चलते मंडियों में नहीं हुई कृषि जिंसों की बोली

हनुमानगढ़. अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में शामिल धाणका/धानका समाज के लोगों को एसटी वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन चल रहा है।

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पांच किमी पैदल मार्च निकाल कर जताया रोष, हड़ताल के चलते मंडियों में नहीं हुई कृषि जिंसों की बोली

पांच किमी पैदल मार्च निकाल कर जताया रोष, हड़ताल के चलते मंडियों में नहीं हुई कृषि जिंसों की बोली

-धानका समाज ने एसटी वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की मांग की
हनुमानगढ़. अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में शामिल धाणका/धानका समाज के लोगों को एसटी वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन चल रहा है। शुक्रवार को समाज के हजारों लोगों ने हनुमानगढ़ जंक्शन के भगत सिंह चौक से जिला कलक्ट्रेट तक लगभग पांच किलोमीटर लंबा पैदल रोष मार्च निकाला। इस पैदल मार्च में हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिलों से भारी संख्या में महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग शामिल हुए। जनसैलाब के बीच समाज के लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रतीकात्मक शव यात्रा भी निकाली। जो प्रशासन के रवैये के प्रति गहरी नाराजगी को दर्शाती रही। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां, बैनर और झंडे लेकर नारे लगाते हुए कहा कि सरकार व प्रशासन की हठधर्मिता अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भगत सिंह चौक से प्रारंभ होकर यह रोष मार्च जंक्शन मुख्य बाजार, बस स्टैंड होते हुए जिला कलक्ट्रेट परिसर पहुंचा। जहां प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराया। वक्ताओं ने कहा कि पिछले 75 दिनों से धाणका समाज जिला कलक्ट्रेट के सामने शांतिपूर्ण धरना दे रहा है। लेकिन अब तक किसी अधिकारी ने ठोस समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाया। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि प्रशासन के पास ऐसा कोई लिखित आदेश नहीं है, जिससे यह साबित हो कि धाणका जाति अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल नहीं है। इसके बावजूद समाज के लोगों के एसटी वर्ग के जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि इसी गलती के कारण आज पूरा समाज परेशान है। नई पीढ़ी को अपने अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। कई विद्यार्थियों और युवाओं को सरकारी योजनाओं व नौकरियों में आवेदन करने में अड़चनें आ रही हैं। उन्होंने मांग की कि तत्काल प्रभाव से जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया बहाल की जाए और जिन प्रमाण-पत्रों में धानका लिखा गया है, उन्हें धाणका के रूप में मान्यता दी जाए। कलक्ट्रेट के बाहर पुतला दहन के बाद समाज के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए 72 घंटों का अल्टीमेटम देकर मांगों पर गौर करने की बात कही। धानका मजदूरों की मंडी में हड़ताल के चलते मंडी में कृषि जिंसों की बोली नहीं हुई।