नशे की तलब पूरी करने के लिए वे चोरी, छीनाझपटी, नकबजनी सरीखी वारदातों को अंजाम देते हैं। यही वजह है कि नशा बढऩे के साथ ही जिले में उपरोक्त वारदातें भी बढ़ी हैं। पिछले कुछ बरस से निरंतर खप रहे चिट्टे के कारण अब ओवरडोज से रोगियों के मरने के मामले भी सामने आने लगे हैं।
ऐसे पहुंचा करोड़ों में
पिछले तीन साल में जिला पुलिस करीब 13 किलोग्राम चिट्टा (हेरोइन) जब्त कर चुकी है। चुनाव आयोग के बीते बरस के मापदंडों के अनुसार इसकी कीमत लगभग 26 करोड़ रुपए होती है। जबकि जिले में वर्ष 2015 में चिट्टे की बरामदगी शून्य थी। वर्ष 2016 में सिर्फ 18 ग्राम थी। इसका अर्थ कि जिले में यह नशा तब तक बहुत कम फैला हुआ था। मगर इसके बाद निरंतर बढ़ा और अब तो चिंताजनक स्तर पर जा पहुंचा है।
जरूरी सोशल पुलिसिंग भी
जिला पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने नशे पर अंकुश को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। पुलिस अधिकारियों को नशे की तस्करी में संलिप्त लोगों पर निरंतर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। वहीं पुलिस प्रशासन कानूनी कार्रवाई के साथ सोशल पुलिसिंग व जन जागरुकता के लिए भी प्रयासरत है।
बीते तीन साल का हाल
वर्ष बरामदगी मात्रा
2021 3510 किलोग्राम
2022 5.985 किलोग्राम
2023 3.766 किलोग्राम
पत्रिका अलर्ट : उठाएं यह कदम
पुलिस कार्रवाई के अतिरिक्त समाज भी नशे की समस्या पर चिंतन करे। नशा तस्करी में लिप्त लोगों का सामाजिक बहिष्कार हो। यदि संबंधित थानों में सूचना न देना चाहे तो पुलिस के टोल फ्री, कंट्रोल रूम या उच्चाधिकारियों के नम्बरों पर नशा तस्करी की सूचना दी जाए। तस्करों पर पुलिस व अपने घर के युवाओं पर परिजन कड़ी निगाह रखे। अभिभावक अपने बच्चों व उनकी मित्र मंडली पर नजर रखेंगे तो नशे से बचा सकेेंगे। दिल्ली की नाईजीरियन गैंग या नशे में लिप्त अन्य गिरोह के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान जरूरी।
रोज दो लाख की डोज
पुलिस ने जिले भर से पिछले साल 3.766 किलोग्राम चिट्टा बरामद किया। जबकि वर्ष 2022 में यह मात्रा 5 किलो 985 ग्राम थी। इससे पहले वर्ष 2021 में 3.510 किलोग्राम चिट्टा बरामद किया गया। इस तरह तीन साल में कुल 13.261 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई जिसकी कीमत 26 करोड़ रुपए से अधिक होती है। मतलब कि हर दिन जिले से दो लाख रुपए से ज्यादा का चिट्टा बरामद किया जा रहा है।
मिलकर लड़े तो पड़ेगी पार
नशे के खिलाफ सरकार, पुलिस व समाज को मिलकर लडऩा होगा। नशा ना केवल एक समस्या है बल्कि यह कई अन्य समस्याओं की जड़ भी है। बच्चों व युवाओं को खेल, पढ़ाई आदि की तरफ मोड़ा जाए। अभिभावक उन पर कड़ी निगाह रखे, खासकर लड़कों पर। शंकर सोनी, वरिष्ठ अधिवक्ता, हनुमानगढ़।