
हनुमानगढ़ जिले की कालीबंगा संग्रहालय में रखा गया प्राचीन शिवलिंग। फोटो पत्रिका
पुरुषोत्तम झा
Rajasthan News : शिव को आदिदेव कहा गया है, जिनकी उपासना हर युग में होती रही है। अब इसके ठोस प्रमाण हनुमानगढ़ जिले के कालीबंगा की खुदाई से भी सामने आए हैं। इस क्षेत्र में खुदाई के दौरान जो शिवलिंग मिला है, वह बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग से भी हजारों वर्ष पुराना है।
पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह शिवलिंग करीब 5500 वर्ष पुराना है और 4.5 सेंटीमीटर लंबा है। टैराकोटा (पकी हुई मिट्टी) से बना यह शिवलिंग आज भी कालीबंगा संग्रहालय में संरक्षित है। खुदाई में नंदी की आकृति और पीपल पूजन मुद्रा वाले सिक्के भी मिले हैं, जो हड़प्पन काल में शिव भक्ति की पुष्टि करते हैं।
हड़प्पाकाल में यहां के लोग शिव, नंदी और पीपल की पूजा करते थे। खुदाई में इसके स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्तमान में शिवलिंग है, उसके 250 से 300 वर्ष पुराना होने की सूचना है। जबकि कालीबंगा संग्रहालय में संरक्षित टेराकोटा का शिवलिंग के करीब 5500 वर्ष पुराना होने का अनुमान है, जो पुरातत्व दृष्टि से भी अहम है।
डॉ. श्याम उपाध्याय, इतिहास शोधकर्ता
कालीबंगा क्षेत्र हड़प्पन लोगों के व्यापार का भी प्रमुख केंद्र रहा होगा। नगर सभ्यता के लिहाज से यह अहम था। कृषि कार्य को लेकर भी यह क्षेत्र काफी चर्चित रहा। फिर किसी प्राकृतिक आपदा के चलते पूरा क्षेत्र ध्वस्त हो गया। करीब 65 साल से चल रहे उत्खनन कार्य के दौरान अब तक मिली करीब 1450 वस्तुओं को सहेज कर कालीबंगा संग्रहालय में रखा गया है। संग्रहालय की गैलरियों में पुरावशेषों के बारे में जानकारी लिखकर बोर्ड भी लगाए हुए हैं।
Published on:
15 Jul 2025 10:25 am
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