
Health Update: एनेस्थीसिया 'संवेदनाहरण' प्रक्रिया है। इसमें उच्चस्तरीय कौशल की आवश्यकता होती है, जिसे एनेस्थेटिस्ट अत्यंत सतर्कता से पूरा करते हैं। इस प्रक्रिया में मरीज के सभी अंग एनेस्थेटिस्ट के नियंत्रण में सुचारू रूप से कार्य करते हैं। एनेस्थेटिस्ट बनने के लिए एमबीबीएस के बाद तीन वर्ष विशेष चिकित्सा पद्धति का अध्ययन किया जाता है। एनेस्थेटिस्ट का कार्य सर्जरी से बहुत पहले ही शुरू हो जाता है, जिसमें मरीज की गहराई से जांच कर उसे दिए जाने वाले एनेस्थीसिया की जानकारी देकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाते हैं।
कोरोना महामारी में जुटे रहे
सर्जरी के दिन एनेस्थेटिस्ट मरीज का दोबारा अवलोकन करते हैं। इसके बाद ही प्रक्रिया शुरू होती है, जो सर्जरी से शुरू होकर मरीज के होश में आने तक चलती है। मरीज के पूरी तरह से सुरक्षित होने के बाद ही एनेस्थेटिस्ट मरीज को रिकवरी रूम या आइसीयू में रेफर करते हैं।
एनेस्थेटिस्ट अत्यंत दबाव में रहते हुए कई चुनौतियों का सामना करते हैं, लेकिन मरीजों से सीधे संपर्क में न आने के कारण लोग उनकी कुशलता से अनभिज्ञ हैं। महामारी में भी एनेस्थेटिस्ट दिन-रात मरीजों की जान बचाने में जुटे रहे। समाज में इनके महत्त्वपूर्ण योगदान का सही सम्मान तभी होगा जब लोग जागरूक हों।
डॉ. अलका पुरोहित, एनेस्थेटिस्ट, जयपुर
Published on:
15 Oct 2021 09:58 pm
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