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स्वास्थ्य

AYURVEDA TIPS : जानिए…किस नाड़ी दोष से कौन बीमारी होती है?

अवयव नाड़ी (ऑर्गन पल्सेस) की जांच के लिए तीनों नाडिय़ों के परीक्षण में उनकी गति व बल को विशेष रूप से देखते हैं। इससे अंग में बीमारी व गंभीरता की पहचान आसानी से हो जाती है।

Feb 24, 2021 / 10:12 pm

Ramesh Singh

AYURVEDA TIPS

सुबह के समय नाड़ी सामान्य रूप से चलती हैं। वैद्य पुरुष के दाएं, स्त्री के बाएं हाथ की नाड़ी देखते हैं। अंग पर बीमारी का कितना प्रभाव है इसको जान सकते हैं। इससे रक्त में कॉलेस्ट्राल, हृदय की धड़कन की वास्तविक स्थिति जान सकते हैं।
यहां से भी परीक्षण
कलाई के अलावा स्पंदन शरीर के कई स्थानों पर महसूस किया जा सकता है। ग्रीवा, नासा नाड़ी, गुलफसंदी (एंकल) व शंख नाड़ी से भी परीक्षण कर करते हैं।
वात नाड़ी दोष

इससे सर्वाइकल, ऑस्टियो आर्थराइट्सि और स्पॉन्डिलाइसिस की दिक्कत ज्यादा होती है।
पित्त नाड़ी दोष

गालब्लैडर में सूजन, लिवर संबंधी बीमारियां, पीलिया, सिरोसिस की पहचान होती है।
कफ नाड़ी दोष

इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, ट्यूबरोकलोसिस, रक्त, एलर्जी, सांस संबंधी बीमारियों व बुखार आने पर जांच करते हैं।
पंचात्मक नाड़ी दोष

वात-पित्त-कफ की नाड़ी क्रमश: पांच-पांच प्रकार की होती है। पहला प्राणवायु, दूसरा उदान वायु, तीसरा समान वायु, चौथा अपान वायु व पांचवां ज्ञान वायु नाड़ी कहलाती है। इससे रोग की गंभीरता, बीमारी की अवधि व तीव्रता की जानकारी करते हैं।

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