इस घटना के बाद इनमें से कुछ जिलों में भाजपा और सरकार के खिलाफ कुछ संगठन एक जुट होने लगे हैं। इन संगठनों का सरकार के प्रति सीधा सीधा विरोध तो नजर नहीं आ रहा है लेकिन बैतूल और छिंदवाड़ा जिले में कई जगहों पर बैठकें कर के अपने हक को हासिल करने की रणनीति बनाई जा रही है। भाजपा के एक प्रदेश स्तर के पदाधिकारी और विधायक ने इस मामले में मुख्यमंत्री को शिकायत करके आगाह भी किया है। उधर इस मामले में भाजपा प्रदेश संगठन को भी सूचना दी गई है।
भाजपा विधायक के मुताबिक अगर अभी डैमेज कंट्रोल नहीं किया जाता है तो अगले चुनाव में पार्टी को इन इलाकों में इन संगठनों की एकजुटता से मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। चुनावी साल में इस तरह के संगठनों का एकजुट होना भाजपा के लिए नया सिरदर्द साबित हो सकता है। इसी के चलते पार्टी ने इन इलाकों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को फोकस करके योजनाएं बनाना शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक बैतूल जिले में ही दस संगठन है, जो आपस में एकजुट हुए हैं। इसमें आदिवासी युवा विकास परिषद, महार युवा प्रकोष्ठ, बहुजन मुक्ति मोर्चा, आदिवासी समाज, सिख संगठन, बहुजन क्रांति मोर्चा, महात्मा फूले संगठन शामिल है। इनमें से कुछ संगठन सार्वजनिक रूप से मंच पर आकर भी अपना विरोध जता चुके हैं। उधर छिंदवाड़ा के साथ ही महाकौशल के दूसरे जिलों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पहले ही आदिवासियों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने का काम करती रही है।
बूथ स्तर पर नमो एप डाउनलोड करेगी भाजपा
इधर, भाजपा सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचने की जुगाड़ में जुट गई है। पार्टी ने तय किया है कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा लोगों के मोबाइल फोन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एप होना चाहिए। भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने सभी प्रदेश पदाधिकारियों को चिट्ठी लिखी है।
भगत ने चिट्ठी में निर्देश दिए हैं पार्टी पदाधिकारी अपने कार्यक्रमों में बूथ स्तर तक स्टॉल लगाए और लोगों के मोबाइल फोन में नमो और शिवराज एप डाउनलोड करवाएं। इसके पीछे पार्टी का मकसद चुनावी साल में सरकार की योजनाओं का प्रचार कर जनमत तैयार करना है। गौरतलब है दो दिन पहले ही भाजपा सोशल मीडिया प्रकोष्ठ की बैठक में तय किया कि विधानसभा सीट पर 20 हजार लोगों को वाट्सएप से जोड़ेगा।