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क्या आपको पता है किस उम्र में कितनी बढ़ती है बच्चों की हाइट

हाइट बढ़ाने का एकमात्र तरीका है अच्छे खानपान के साथ शरीर की बेहतर देखभाल। लंबाई तभी बेहतर होगी जब शरीर को सभी तरह के पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलेंगे। ऐसे में खाने में सोयाबीन, दाल, पनीर, अंडा, मांस, दूध, दही समेत हरी सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए। आटा, मक्का, चावल का अधिक प्रयोग करें।

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बच्चे को आठ से नौ घंटे की नींद बहुत जरूरी है। बच्चा को इनडोर की जगह आउटडोर गेम खिलाएं जिससे उसके शरीर में खिंचाव आए और हाइट बढऩे की प्रक्रिया ठीक रहे।

चार चरणों में बढ़ती है हाइट
हाइट चार चरणों में विभाजित होती है। इसमें पहला स्टेज फीटल, दूसरा इन्फैन्टाइल, तीसरा चाइल्डहुड और चौथा एडोलेसेंट एज होती है। बच्चा जब गर्भ में होता है तब उसे अलग तरह के हॉर्मोन की जरूरत होती है जिसे आईजीएफ-वन और आईजीएफ टू कहा जाता है। ऐसी अवस्था में शिशु को ग्रोथ हॉर्मोन की जरूरत नहीं होती है। गर्भ में पल रहे बच्चे को ह्यूमन प्लेसेंटा लैक्टोजन (एचपीएल) और इंसुलिन हॉर्मोन मां से मिलता है जो उसके विकास के लिए पर्याप्त होता है। इस स्टेज को फीटल स्टेज कहा जाता है। इस अवस्था में गर्भ में पल रहे भ्रूण को इसुंलिन हॉर्मोन नहीं मिल रहा है तो उसकी ग्रोथ पर असर होगा। इस वजह से जब बच्चे का जन्म हो तो उसकी लंबाई सामान्य बच्चों की लंबाई से कम होगी। दूसरा है इन्फैंट स्टेज जिसमें जन्म के बाद बच्चे में ग्रोथ हॉर्मोन और थॉयराइड हॉर्मोन बनते हैं जिससे उसका शारीरिक विकास बेहतर ढंग से होता है। तीसरा फेज चाइल्डहुड फेज (बचपन) होता है जिसमें थॉयराइड और ग्रोथ हॉर्मोन के साथ न्यूट्रीशियन यानि खानपान से मिलने वाले पोषक तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चौथा फेज होता है किशोरावस्था यानि एडोलेसेंट एज का जिसमें पुरूष और महिला में कई तरह के हॉर्मोन बनते हैं जिससे युवक या युवती की लंबाई तेजी के साथ बढ़ती है। अगर इनका सीक्रेशन नहीं हो रहा है तो बच्चे के विकास में परेशानी आती है। बच्चे की लंबाई माता-पिता की लंबाई से मिलती जुलती ही होगी, बहुत कुछ असामान्य नहीं हो सकता है।

बच्चों का वजन बढ़ना बड़ी समस्या
जंक और फास्ट फूड का इस्तेमाल करने वाले लोगों का वजन तेजी से बढ़ता है। बॉडी मास इंडेक्स 95 परसेंटाइल से अधिक है तो मोटापा तेजी से बढ़ेगा। अगर ये 90 तक है तो ठीक है। इससे अधिक है तो भविष्य में हृदय रोग, मधुमेह और हाइपरटेंशन जैसी समस्या हो सकती है। जिन लोगों का वजन अधिक कम होता है उनमें इसका कारण न्यूट्रिशियन हॉर्मोन डेफिसिएंसी का होना या कॉर्टिकल हॉर्मोन के न बनने से भी ये परेशानी निकलकर सामने आती है।

डॉ. संजय सारण, हार्मोन रोग विशेषज्ञ, एसएमएस अस्पताल, जयपुर