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8-10 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होने से होता है हाइट पर असर

Published: Aug 23, 2019 04:33:01 pm

Submitted by:

Divya Sharma

लड़कियों में 12-13 वर्ष की उम्र से हार्मोंस में बदलाव होने पर माहवारी शुरू होती है। जिनमें इस उम्र से पहले माहवारी शुरु होती है उनमें हड्डियों का विकास प्रभावित होने से हाइट न बढऩे की समस्या देखी जाती है। इसलिए इस दौरान शरीर में आने वाली कमजोरी को दूर करना बेहद जरूरी है ताकि कोई समस्या न हो।

8-10 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होने से होता है हाइट पर असर

8-10 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होने से होता है हाइट पर असर

01 से 2 बार से ज्यादा पीरियड आगे बढ़ाने वाली दवा मन से न लें। इससे सेहत संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है।
06 माह या डेढ़ साल तक भी पीरियड नहीं आते बे्रस्ट फीडिंग से
02 बार दिन में नैपकिन जरूर बदलें वर्ना यूटीआई की आशंका रहती
इन दिनों ज्यादातर लड़कियां अनियमित पीरियड्स से परेशान हैं। वैसे तो यह चक्र हार्मोन्स में होने वाली गड़बड़ी से होता है। जिसका कारण मुख्य रूप से खराब खानपान और दिनचर्या है।
चक्र बिगड़े तो ध्यान दें
हर माह एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण महिला के गर्भाशय में एक रक्तयुक्त झिल्ली (लाइनिंग) बनती है जो सामान्यत: 24, 28 या 35 दिन के चक्र के बाद स्वत: टूट जाती है। हर महिला में यह चक्र उनकी शारीरिक संरचना और दिनचर्या के अनुसार अलग-अलग होता है। यूट्रस की लाइनिंग में गड़बड़ी या कोई रोग से यह चक्र बिगड़ जाता है। इसलिए चक्र से जुड़े बदलावों पर समय रहते ध्यान दें।
हाइट का संबंध
12-13 वर्ष की उम्र में भी पीरियड्स शुरू न हों तो चिंता न करें। 13 साल तक भी कई बार मेंसेस शुरू होते हैं। फिर भी न आए तो यह प्राइमरी एमेनोरिया की स्थिति है। ऐसे में बॉडी चेकअप के साथ देखते हैं कि महिला संबंधी तथ्य है या नहीं। डाइट व खराब दिनचर्या से कई बार लड़कियों में 8-10 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होते हैं। इस प्रीमेच्योर मीनारकी स्थिति में हड्डियों का विकास न होने से हाइट नहीं बढ़ती।
दवा न लें : प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के रूप में मिलने वाली दवा पीरियड्स को 1-2 बार या 10-15 दिन आगे बढ़ा देती है जिससे दिक्कत नहीं होती। दवा के अधिक प्रयोग से हार्मोन असंतुलित होने से सूजन, एक्ने की दिक्कत होती है।
आयुर्वेदिक नजरिया
आयुर्वेद के ग्रंथों में माहवारी के दौरान रजस्वलाचर्या अपनाएं-घी संग चावल, जौ के दलिए की खीर खाएं। जौ के आटे की रोटी दूध संग खाएं। लिक्विड डाइट लें। मीठे फल यानी चीकू, पपीता, अनार खाने से दर्द में कमी आती है। असहज महसूस न करें तब तक योग, मेडिटेशन व वर्कआउट करें।
एक्सपर्ट : डॉ. मेघा शर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, जयपुर
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