सेल मेटाबॉलिज्म में पब्लिश हुई एक हालिया रिपोर्ट पर नजर डालें तो सामने आएगा कि किस तरह से पेट की सेहत बिगड़ने का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है। एक नए अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन चूहों को दो सप्ताह तक लगातार तनाव का सामना करना पड़ा, उनमें आंतों को रोगजनकों से बचाने में मदद करने वाली कोशिकाओं का स्तर उन चूहों की तुलना में कम हो गया, जो तनावग्रस्त नहीं थे। इससे साबित हुआ कि मस्तिष्क-आंत धुरी किस तरह काम करती है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि आपके चिड़चिड़ेपन का कारण क्या हो सकता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थितियों के चलते तनाव की स्थिति बनती है।
एक्सपट्र्स के मुताबिक हमारी आंतों में सूक्ष्मजीवों की सबसे बड़ी आबादी होती है और साथ ही यह स्वायत्त तंत्रिका तंत्र से जुड़ा होता है जिसमें सबसे बड़ा नेटवर्क होता है। मस्तिष्क के बाहर की तंत्रिकाओं का. “गट माइक्रोबायोम, आंतों की परत के आसपास के सूक्ष्मजीव, मोटापा, मधुमेह, सूजन आंत्र रोग, फैटी लीवर, ऑटोइम्यून रोग और यहां तक कि कुछ न्यूरोलॉजिकल रोगों जैसी कई बीमारियों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में आंतों की सेहत बहुत ज्यादा जरूरी है।
आंतों कीे सेहत आमतौर पर खाने—पीने से जुड़ी हुई है। ऐसे में हमें ऐसे खाद्य पदार्थों को खाना चाहिए, जिससे आंते प्राकृतिक रूप से साफ होती रहे। हमें उच्च फाइबर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। खाने में फलियां दालें, सब्जियां और फलों की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं आंतों के लिए केला, लहसुन और प्याज भी फायदेमंद रहता है। ये फूड आंतों में सेहतमंद बैक्टीरिया या प्रोबायोटिक्स की संख्या को भी बढ़ा सकते हैं। फलों व सब्जियों में जामुन, ब्रोकोली, एलोवेरा, नट्स, ब्लूबेरी, प्लम, चेरी, सेब और स्ट्रॉबेरी खा सकते हैं। वहीं पानी की मात्रा भी पूरी रखनी चाहिए।
Updated on:
09 Feb 2024 10:22 am
Published on:
09 Feb 2024 09:36 am