
बाल झड़ने के ये हैं कारण
आनुवांशिकता प्रमुख वजह है। गर्भावस्था के दौरान बालों के गिरने की सामान्य क्रिया रुक जाती है जो प्रसव के बाद सुचारू होती है। इनमें बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने से भी होने वाले हार्मोनल बदलाव से बाल गिरते हैं। तनाव के अलावा थायरॉइड, खून या पोषक तत्त्वों की कमी से भी ऐसा होता है। आयुर्वेद में इसे खालित्य रोग कहते हैं जो त्रिदोषों के कारण होता है। जिस तरह वात व पित्त में असंतुलन से बालों का झड़ना शुरू होता है वैसे ही कफ के बढ़ने से जब यह रक्त में मिलकर स्कैल्प के रोमछिद्रों को बंद करता है तो नए बाल नहीं निकल पाते।
पंचकर्म उपयोगी
स्नेहं और स्वेदम् प्रक्रिया में शिरोधारा, शिरोवस्थी, शिरोअभ्यंग व शिरोपिचू करते हैं। इनमें सिर की तेल से मसाज आदि करते हैं। मुल्तानी मिट्टी में नागरमोथा, कपूर कचरी, आमलकी मिलाकर हैडपैक लगाएं।
होम्योपैथी दवाएं
इसमें शुरुआती अवस्था में इस समस्या को रोका जा सकता है। जिसके लिए लिक्विड रूप में मौजूद दवाएं, गोलियां व बायोकैमिक कंपाउड्स विभिन्न पोटेंसी में देते हैं।
एलोपैथी में इलाज
बालों का झडऩा सामान्य प्रक्रिया है। 2-3 माह एक बाल को विकसित होने में लगते हैं जिसके बाद यह टूटता है व इसकी जगह नया बाल आता है। इस अवधि के प्रभावित होते ही बाल झड़ते हैं। हर व्यक्ति के रोजाना औसतन 50 बाल गिरते हैं। इससे अधिक गिरें तो यह हेयरफॉल की ओर इशारा करती है। बाल गिरने के बाद यदि वापस न आएं तो दवाएं व स्कैल्प पर लगाने के लिए सिरम देते हैं। जिनमें बालों की जड़ें ब्लॉक होने से एक बार बाल पूरी तरह से चले जाते हैं, उनके लिए हेयर रेस्टोरेशन तकनीक का प्रयोग कर सिर के बाल वाले हिस्से से जरूरत के अनुसार बाल लेकर प्रभावित भाग पर प्रत्यारोपित करते हैं।
Published on:
27 Aug 2019 01:18 pm
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