दूसरे बच्चों से तुलना न करें
काफी लोगों की आदत होती है कि अपने बच्चों की तुलना वे पास-पड़ोस के बच्चे से करते हैं और उसे कमतर बताने की कोशिश करते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। हर बच्चा अपने आप में अलग होता है। सबमें अलग-अलग खासियत होती है। अगर बच्चों की दूसरों से तुलना की जाएगी तो उनमें हीन भावना विकसित हो सकती है। इसका असर उनके आगे के विकास पर पड़ता है।
काफी लोगों की आदत होती है कि अपने बच्चों की तुलना वे पास-पड़ोस के बच्चे से करते हैं और उसे कमतर बताने की कोशिश करते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। हर बच्चा अपने आप में अलग होता है। सबमें अलग-अलग खासियत होती है। अगर बच्चों की दूसरों से तुलना की जाएगी तो उनमें हीन भावना विकसित हो सकती है। इसका असर उनके आगे के विकास पर पड़ता है।
बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें
आमतौर पर पेरेंट्स बच्चों से अपनी बात ही कहते हैं, उनकी बातें सुनने की कोशिश नहीं करते। यह ठीक नहीं है। बच्चों की बातें गौर से सुननी चाहिए। अगर बच्चा बात नहीं कर रहा हो, तो उससे पेरेंट्स को बात करनी चाहिए। इससे बच्चों की समस्याएं समझी जा सकती हैं। अगर आप बच्चों से खुल कर बात नहीं करते तो आगे चल कर वह किसी से बात करने में झिझकेगा।
आमतौर पर पेरेंट्स बच्चों से अपनी बात ही कहते हैं, उनकी बातें सुनने की कोशिश नहीं करते। यह ठीक नहीं है। बच्चों की बातें गौर से सुननी चाहिए। अगर बच्चा बात नहीं कर रहा हो, तो उससे पेरेंट्स को बात करनी चाहिए। इससे बच्चों की समस्याएं समझी जा सकती हैं। अगर आप बच्चों से खुल कर बात नहीं करते तो आगे चल कर वह किसी से बात करने में झिझकेगा।
बच्चों को अपनापन महसूस करवाएं
अगर आप अपने बच्चे के साथ प्यार से बात करते हैं, उसे दुलारते हैं, उसकी जरूरतों के बारे में पूछते हैं तो उसमें उत्साह की भावना पैदा होती है। इससे उसे ताकत मिलती है और उसका आत्मविश्वास मजबूत होता है।
अगर आप अपने बच्चे के साथ प्यार से बात करते हैं, उसे दुलारते हैं, उसकी जरूरतों के बारे में पूछते हैं तो उसमें उत्साह की भावना पैदा होती है। इससे उसे ताकत मिलती है और उसका आत्मविश्वास मजबूत होता है।
बच्चे को हतोत्साहित नहीं, प्रोत्साहित करें
बच्चे को प्रोत्साहित करना जरूरी होता है। अक्सर बच्चे गलतियां करते हैं। गलतियां बड़े भी करते हैं, क्योंकि यह इंसान का स्वभाव है। कुछ पेरेंट्स मामूली गलती पर भी बच्चे के साथ कड़ाई से पेश आते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। हर हाल में बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे उसका संतुलित विकास होता है। डांटने-फटकारने से बच्चे में कुंठा पैदा होने लगती है।
बच्चे को प्रोत्साहित करना जरूरी होता है। अक्सर बच्चे गलतियां करते हैं। गलतियां बड़े भी करते हैं, क्योंकि यह इंसान का स्वभाव है। कुछ पेरेंट्स मामूली गलती पर भी बच्चे के साथ कड़ाई से पेश आते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। हर हाल में बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे उसका संतुलित विकास होता है। डांटने-फटकारने से बच्चे में कुंठा पैदा होने लगती है।
बच्चों को समय दें
आजकल हर आदमी के पास समय की कमी है। भागदौड़ की जिंदगी में लोगों को अपने लिए भी समय नहीं मिल पाता। ऐसे में, वे बच्चों को समय नहीं दे पाते। इसका असर अच्छा नहीं होता है। हर बच्चे को अपने मां-पिता का साथ मिलना जरूरी है। इसलिए व्यस्त रूटीन के बीच भी बच्चे के लिए समय जरूर निकालें और उससे बातें करें। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है और वे भावनात्मक स्तर पर मजबूत बनते हैं।
आजकल हर आदमी के पास समय की कमी है। भागदौड़ की जिंदगी में लोगों को अपने लिए भी समय नहीं मिल पाता। ऐसे में, वे बच्चों को समय नहीं दे पाते। इसका असर अच्छा नहीं होता है। हर बच्चे को अपने मां-पिता का साथ मिलना जरूरी है। इसलिए व्यस्त रूटीन के बीच भी बच्चे के लिए समय जरूर निकालें और उससे बातें करें। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है और वे भावनात्मक स्तर पर मजबूत बनते हैं।