
natural herbs and supplements for joint pain
नई दिल्ली : आयुर्वेद में, हड्डियों और जोड़ों में परेशानी का कारण शरीर में वात को माना जाता है। आयुर्वेद में जॉइंट पेन के दो प्रमुख प्रकार के बारे में बताया गया है। पहला खराब-पोषण की वजह से जोड़ों में दर्द या लो बोन डेंसिटी और जोड़ों की कमजोरी से जुड़ा हुआ है। इस तरह की समस्या जोड़ों में कुछ परेशानियों के साथ शुरू होती है और यदि ध्यान न दिया जाए तो जोड़ों की चलने-फिरने की क्षमता खत्म हो जाती है। दूसरी तरह का जोड़ों में दर्द जॉइंट्स में टॉक्सिन्स के साथ जुड़ा हुआ है। यह अमा अधपचे भोजन की वजह से चिपचिपा जमा विषाक्त पदार्थ के जमने से होता है। इसमें पहले कठोरता और भारीपन लगता है। यदि यह लंबे समय तक रहता है तो जोड़ों में सूजन और दर्द पैदा हो सकता है। ठंडा मौसम इस प्रकार के जॉइंट पेन को बढ़ा सकता है।
आयुर्वेद में जोड़ों में दर्द के लक्षण क्या हैं
जोड़ों के दर्द से जुड़े लक्षण और संकेत इस प्रकार हैं
1। जोड़ों में लालिमा।
2. जोड़ों में सूजन।
3. जोड़ों में कोमलता आना
4. जॉइंट्स का लॉक होना।
5. मूव करने पर जोड़ों में दर्द होना।
6. जॉइंट्स में कमजोरी आना आदि।
जोड़ो में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज
1. निर्गुंडी
निर्गुंडी जॉइंट पेन की सबसे आम जड़ी-बूटियों में से एक है। इसका उपयोग करने से सूजन को कम करने के साथ-साथ दर्द में राहत मिलती है। इसमें एंटी-इंफ्लमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिससे जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है। जॉइंट पेन के आयुर्वेदिक इलाज के लिए आप निर्गुन्डी के तेल का उपयोग भी कर सकते हैं और इसे जोड़ों पर लगा सकते हैं।
2. अजवाइन
अजवाइन में एंटी-इंफ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसकी वजह से इसे गठिया के दर्द के घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एनेस्थेटिक गुण भी होते हैं जो सर्दियों के दौरान अत्यधिक दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
3. दशमूल
दशमूल खुद एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी नहीं है, बल्कि दस औषधीय जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। जिसका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसमें बेरहटी शालपर्णी जैसी हर्ब्स शामिल की जाती हैं। दशमूल वात रोग में प्रभावी है। इसके एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और शामक गुण जोड़ों के दर्द को ठीक करने में मदद करते हैं। यह तेल और पाउडर के रूप में उपलब्ध है।
4. शल्लकी
शल्लकी जड़ी-बूटी जोड़ों को मजबूत रखने और उन्हें किसी भी दर्द से राहत देने के लिए जानी जाती है। यह न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि सूजन को कम करने में भी मददगार है। ऑस्टियोअर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में दर्द और अकड़न को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इसे वात दोष के असंतुलन के कारण हुई बीमारियों के इलाज के लिए जाना जाता है।
5. शतावरी
शतावरी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसमें चिकनाई प्रदान करने वाले गुण होते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि इसका इस्तेमाल शरीर में सूजन पैदा करने वाले रसायनों जैसे कि TNF- अल्फा और IL-1B को खत्म करने में किया जाता है।
6. अश्वगंधा
अश्वगंधा मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने में उपयोगी है। अर्थराइटिस की वजह से होने वाली सूजन के उपचार में भी यह मददगार है। जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
Updated on:
26 Dec 2021 02:31 pm
Published on:
26 Dec 2021 02:22 pm
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