Neurological Problems : डॉ. रशिम कटारिया—एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर हैं। उन्हें ब्रेन और रीढ़ की बीमारियों के इलाज में 20 वर्षों का अनुभव है। न्यूरोएंडोस्कोपी और वैस्कुलर सर्जरी में उनकी खास विशेषज्ञता है।
Neurological Problems : डॉ. रशिम कटारिया, एमबीबीएस, एमएस, एमसीएच, एमएएमएस—एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर के न्यूरोसर्जरी विभाग में प्रोफेसर हैं। ब्रेन और रीढ़ से जुड़ी जटिल समस्याओं के इलाज में उनका लगभग 20 वर्षों का अनुभव है। उनका विशेष रूझान न्यूरोएंडोस्कोपी, जंक्शन सर्जरी और वैस्कुलर न्यूरोसर्जरी की ओर रहा है। वे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर 40 से अधिक प्रस्तुतियाँ दे चुके हैं और लगभग 30 रिसर्च पेपर व पुस्तक अध्याय प्रकाशित कर चुके हैं।
न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ जैसे मिर्गी, सिरदर्द, रीढ़ की समस्याएं या स्मृति लोप जैसी स्थितियाँ लोगों की दिनचर्या पर गहरा असर डालती हैं। आइए जानें, आम लोगों द्वारा पूछे गए कुछ प्रमुख सवालों के जवाब डॉ. कटारिया से—
नीलम वर्मा पूछती हैं कि उनके 8 वर्षीय बच्चे को दौरे पड़ रहे हैं, दवाओं से राहत नहीं मिल रही। क्या सर्जरी समाधान हो सकती है?
डॉ. कटारिया बताते हैं, “जब दौरे दवाओं से नियंत्रित नहीं होते और MRI/EEG जांच में कोई ऑपरेबल फोकस दिखता है, तो सर्जरी एक प्रभावी विकल्प हो सकती है। सर्जरी से दौरे पूरी तरह बंद हो सकते हैं। लेकिन हर केस अलग होता है, जोखिम में इंफेक्शन, ब्लीडिंग या न्यूरोलॉजिकल डिफिसिट शामिल हो सकते हैं, इसलिए विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।”
कार्तिक गुप्ता लंबे समय से सिरदर्द से परेशान हैं और कई डॉक्टर दिखा चुके हैं।
डॉ. कटारिया कहते हैं, “अगर सिरदर्द लंबे समय तक बना रहे, सुबह के वक्त ज्यादा हो, उल्टी के साथ हो या नजर में बदलाव महसूस हो, तो यह ब्रेन ट्यूमर या किसी न्यूरोलॉजिकल समस्या का संकेत हो सकता है। MRI/CT स्कैन से कारण स्पष्ट हो सकता है। साधारण माइग्रेन और टेंशन हेडेक का इलाज दवा और जीवनशैली बदलाव से होता है।”
30 वर्षीया सोनाली जैन इस परेशानी से जूझ रही हैं।
डॉ. कटारिया के अनुसार, “यह सर्वाइकल या लंबर स्पॉन्डिलाइटिस के कारण हो सकता है, जिसमें नसों पर दबाव पड़ता है। MRI से यह पता किया जा सकता है। फिजियोथेरेपी, पोस्चर सुधार, और कुछ मामलों में सर्जरी जरूरी हो सकती है।”
सुमन शास्त्री बैठने में तकलीफ और डिस्क में परेशानी से जूझ रही हैं।
“हर डिस्क प्रॉब्लम का इलाज सर्जरी नहीं है,” डॉक्टर बताते हैं। “पहले कंजरवेटिव ट्रीटमेंट (दवाएं, व्यायाम, फिजियोथेरेपी) दिया जाता है। अगर नस पर ज्यादा दबाव है और कमजोरी, सुन्नपन या पेशाब संबंधी दिक्कतें हो रही हैं, तब सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।”
50 वर्षीय मेघा अग्रवाल का सवाल।
डॉ. कटारिया बताते हैं, “हाथ-पैर का बार-बार सुन्न होना, विटामिन B12 की कमी, डायबिटिक न्यूरोपैथी या रीढ़ की नसों के दबने का लक्षण हो सकता है। ब्लड टेस्ट और MRI से इसका कारण स्पष्ट किया जा सकता है।”
70 वर्षीय शांति कुमार को स्मृति में समस्या है।
“यह डिमेंशिया या अल्जाइमर की शुरुआत हो सकती है,” डॉ. बताते हैं। “जल्दी निदान से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। मेडिकेशन, मेमोरी थेरेपी और हेल्दी रूटीन मददगार होते हैं।”
रमेश सैनी का सवाल उनके पिताजी के लिए।
“यह अल्जाइमर के बढ़ते स्तर की निशानी हो सकती है,” डॉक्टर कहते हैं। “Neurologist से जांच, MRI और मिनी मेंटल स्टेट एग्ज़ामिनेशन जैसे टेस्ट जरूरी हैं। संतुलित आहार, सुरक्षित वातावरण और नियमित दवाओं से गिरने के जोखिम को कम किया जा सकता है।”
पूर्णिमा सिंह पूछती हैं।
“यह TIA (Transient Ischemic Attack) का लक्षण हो सकता है, जो स्ट्रोक का पूर्व संकेत होता है,” डॉक्टर आगाह करते हैं। “जल्दी इलाज से बड़े स्ट्रोक को टाला जा सकता है। Neurological evaluation तुरंत कराएं।”
मालिनी शाह जानना चाहती हैं।
“अगर ट्यूमर ब्रेन के भाषिक या मेमोरी से जुड़े हिस्से में हो, तो सर्जरी के बाद कुछ असर हो सकता है। लेकिन आधुनिक तकनीक से ये जोखिम बहुत हद तक कम किए जा सकते हैं।”
मनीष जैन का सवाल।
“अगर ऑपरेशन सफल होता है और मांसपेशियां सक्रिय हैं, तो मरीज पूरी तरह से चल सकता है। रिकवरी में 4 से 12 हफ्ते लग सकते हैं, और फिजियोथेरेपी बहुत जरूरी होती है,” डॉ. कटारिया बताते हैं।
न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सही निदान और समय पर इलाज बेहद जरूरी है। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें और योग्य न्यूरोसर्जन या न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लें। विशेषज्ञ मार्गदर्शन से जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।