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Pig Lung Transplant in Human: मेडिकल हिस्ट्री में पहली बार! 9 दिन तक इंसान के शरीर में चला सूअर का फेफड़ा

Pig Lung Transplant in Human: चीन के डॉक्टरों ने पहली बार एक ब्रेन-डेड इंसान के शरीर में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का फेफड़ा लगाया। यह फेफड़ा 9 दिन तक चला। जानें इस एक्सपेरिमेंट से जुड़ी पूरी कहानी, चुनौतियां और भविष्य की उम्मीदें।

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भारत

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Dimple Yadav

Aug 26, 2025

Pig Lung Transplant in Human

Pig Lung Transplant in Human (photo-freepik)

Pig Lung Transplant in Human: चीन में मेडिकल साइंस ने बड़ी उपल्बिध हासिल की है। दरअसल, वहां के डॉक्टरों ने पहली बार जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर का फेफड़ा (lung) एक इंसान के शरीर में लगाया है। ये ट्रांसप्लांट एक ऐसे शख्स पर किया गया था जो ब्रेन डेड हो चुका था। हैरानी की बात ये रही कि सूअर का फेफड़ा 9 दिन तक इंसानी शरीर में काम करता रहा।

पहले भी सूअर के किडनी और हार्ट इंसानों में ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की जा चुकी है और उनमें कुछ सफलता भी मिली है। लेकिन लंग ट्रांसप्लांट पहली बार हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक, जिस इंसान पर ये प्रयोग किया गया, वो 39 साल का था और ब्रेन हेमरेज के बाद ब्रेन डेड हो गया था। उसके परिवार की अनुमति लेकर ये ट्रांसप्लांट किया गया।

मेडिकल साइंस में बड़ी उपलब्धि

डॉक्टरों ने पहले से ही सूअर के फेफड़े में 6 जीन एडिट्स (gene edits) किए थे और उस सूअर को बहुत साफ-सुथरे और सुरक्षित माहौल में पाला गया था। साथ ही मरीज को भी कई दवाइयां दी गईं ताकि इंफेक्शन या रिजेक्शन का खतरा कम हो।शुरुआत में तो फेफड़ा ठीक चला, लेकिन एक दिन बाद ही दिक्कतें शुरू हो गईं। मरीज के शरीर में पानी भरने लगा और सूजन आ गई। फेफड़ा थोड़ी रिकवरी करता दिखा, लेकिन धीरे-धीरे शरीर ने उस अंग को रिजेक्ट करना शुरू कर दिया।

सूअर का फेफड़ा इंसान के शरीर में

डॉक्टरों का कहना है कि ये स्टडी दिखाती है कि सूअर का फेफड़ा इंसान में ट्रांसप्लांट करना संभव तो है, लेकिन अभी भी बहुत चुनौतियां बाकी हैं। सबसे बड़ी दिक्कत है रिजेक्शन और इंफेक्शन। असल में दिक्कत ये है कि फेफड़े बहुत कॉम्प्लेक्स अंग हैं। वो सिर्फ सांस लेने का ही नहीं, बल्कि खून को फिल्टर करने, शरीर का तापमान संतुलित रखने, पीएच लेवल, प्लेटलेट बनाने और इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करने जैसे कई काम करते हैं। और चूँकि फेफड़े हवा से सीधा वायरस और बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, इसलिए उन्हें ट्रांसप्लांट करना बहुत मुश्किल है।

इंसान में काम करने लगा पिग लंग

अमेरिका में ही 2023 में करीब 1 लाख 3 हजार लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सिर्फ 48 हजार को ही अंग मिल पाए। हर दिन लगभग 13 लोग ऑर्गन न मिलने की वजह से मर जाते हैं। यही वजह है कि डॉक्टर सूअर जैसे जानवरों के अंगों पर प्रयोग कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी सूअर का फेफड़ा इंसानों के लिए पूरी तरह सफल ट्रांसप्लांट नहीं बन सकता। हां, भविष्य में स्टेम सेल और जीन एडिटिंग की मदद से या सूअर के फेफड़े को सिर्फ स्ट्रक्चर की तरह इस्तेमाल करके उसमें इंसानी कोशिकाएं डालकर बेहतर नतीजे मिल सकते हैं।