
Tear Test Kit प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो क्रेडिट- पत्रिका)
Tear Test Kit: अब आंसू सिर्फ दुख या खुशी के नहीं रह गए हैं। भारत में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खास तकनीक तैयार की है जो आपके आंसुओं से ही गंभीर बीमारियों का पता लगा सकती है। यह नई तकनीक न सिर्फ सस्ती है, बल्कि बिना किसी दर्द के यह आपके शरीर में हो रहे बदलावों को बहुत जल्दी पकड़ सकती है।
बेंगलुरु के नारायण नेत्रालय की GROW रिसर्च लैब में इस ‘टीयर टेस्ट किट’ को तैयार किया गया है। इसे लेकर डॉ. बताते हैं कि आंसू हमारी सेहत के कई राज छुपाए हुए होते हैं। यही वजह है कि इनका इस्तेमाल अब डायग्नोसिस के लिए भी होने लगा है। आइए जनते हैं, इस किट की खासियत और यह किन बीमारियों का पता लगाने में सफल होगा।
आंसुओं में मौजूद प्रोटीन और अन्य रसायनों का विश्लेषण करके वैज्ञानिक यह समझ सकते हैं कि व्यक्ति के शरीर में कौन-सी बीमारी पनप रही है। जैसे कि रुमेटॉइड आर्थराइटिस, ग्लूकोमा, कैंसर, डायबिटिक रेटिनोपैथी, अल्जाइमर और यहां तक कि पार्किंसन जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियां भी आंसुओं के जरिये पकड़ी जा सकती हैं।
इस लैब के डॉक्टर के मुताबिक, अल्जाइमर से जुड़ा 'टाऊ प्रोटीन' (Tau Protein) आंसुओं में पहचाना है जो आमतौर पर मस्तिष्क में पाया जाता है। यह एक बड़ा संकेत है कि अल्जाइमर की शुरुआती पहचान अब बिना दर्द या महंगे स्कैन के भी संभव है।
आजकल बच्चों में चश्मा लगने की समस्या बहुत बढ़ गई है। इस टेस्ट की मदद से यह जाना जा सकता है कि किस बच्चे को मायोपिया यानी दूर की नजर कमजोर होने का खतरा है। अगर समय पर पता चल जाए तो धूप में खेलने और कुछ जरूरी एक्सरसाइज से नजर को कमजोर होने से बचाया जा सकता है।
टीयर एनालिसिस टेस्ट किट अब अंतिम परीक्षण चरण में है और सरकार से अनुमति मिलने के बाद इसे 2026 तक बाजार में उतारा जा सकता है। यह पेपर स्ट्रिप आधारित टेस्ट होगा। जिसमें कुछ आंसू एकत्र कर विश्लेषण किया जाएगा।
भारत में समय से पहले जन्मे बच्चों में अंधापन एक बड़ी समस्या है। 'रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी' नाम की यह बीमारी आंसुओं में कुछ खास बायोमार्कर्स के माध्यम से शुरुआती अवस्था में पहचानी जा सकती है। इससे समय रहते इलाज शुरू किया जा सकेगा।
डॉक्टरों का कहना है कि 2030 तक करीब 20 करोड़ भारतीय ‘ड्राई आई’ की समस्या से जूझेंगे। यह तब होता है जब आंखों में नमी कम हो जाती है। अब आंसुओं की जांच से यह भी पता लगाया जा सकता है कि समस्या क्यों हो रही है और कौन-सी दवा सबसे ज्यादा असर करेगी।
Published on:
04 Jun 2025 03:25 pm
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