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कैंसर के लक्षणों को ऐसे पहचानकर बच सकते हैं

हमारा शरीर कोशिकाओं से बना है। कई बार ये कोशिकाएं अनियमित रूप से बढऩे व फैलने लगती हैं जिससे उस अंग में गांठ या ट्यूमर बनने लगती है जिसे कैंसर कहते हैं।

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cancer

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लंबे समय से खांसी, किसी मस्से के रंग व आकार में बदलाव या उसमें खून आना, घाव ठीक न होना, वजन कम होना और मल-मूत्र की आदतों में बदलाव होने व महिलाओं में असामान्य रक्तस्राव होने से कैंसर की आशंका बढ़ती है। पुरुषों में सबसे ज्यादा फेफड़े, मुंह, गले, आंत व आमाशय का कैंसर होता है। महिलाओं में बच्चेदानी के मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट, गॉलब्लैडर व भोजन नली का कैंसर होता है।
मुंह का कैंसर
मुंह से खून आना, होठ के आसपास या मुंह में गांठ बनना, कुछ भी खाने पर निगलने में तकलीफ, मुंह के छाले लंबे समय तक ठीक न होना या जीभ का कोई हिस्सा सुन्न हो जाना। देशभर में इस कैंसर के मामले सबसे अधिक पुरुषों में पाए जाते हैं।
फेफड़ों का कैंसर
अत्यधिक कफ बनना या कफ के साथ खून आना, लंबे समय तक गला खराब रहना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, बिना कारण वजन घटना। यदि दवा के बावजूद फायदा न हो या हर बार कफ के साथ खून आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
कोलोन (पेट/बड़ी आंत) का कैंसर
लंबे समय से कब्ज, दर्द या ऐंठन व पेट भरा हुआ महसूस होना, मल में खून आना व धीरे-धीरे इसमें रक्त का अधिक आना लक्षण हैं। धूम्रपान, रेड मीट व जंक फूड खाना भी खतरे को बढ़ाता है।
प्रोस्टेट कैंसर
यह पेपीलोमा वायरस के कारण होता है। पुरुषों में होने वाला प्रमुख कैंसर है जो पौरुष ग्रंथि में होता है और यूरिनरी सिस्टम को प्रभावित करता है। यूरिन में रक्त या सीमेन आना, कमर के निचले हिस्से में दर्द होना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। यह 40 वर्ष की उम्र के बाद अधिक होता है।
दिमाग का कैंसर
यह कैंसर लगातार गले में खराश, मुंह से बदबू, आवाज में खरखराहट या बदलाव, गले में सूजन, बिना दर्द उभार-गांठ, मुंह में सफेद या लाल निशान, लंबे समय तक नाक बंद रहना जैसे लक्षण हैं।
ब्रेस्ट कैंसर
यह महिलाओं में होने वाला प्रमुख कैंसर है। बे्रस्ट के आसपास गांठ होना या सूजन, आकार में बदलाव होना इसके लक्षण हैं। यह 40 वर्ष की उम्र के बाद अधिक होता है।
ब्लड कैंसर (ल्यूकीमिया)
यह खून व बोनमैरो (अस्थिमज्जा) का एक प्रकार का कैंसर है। हड्डियों के अंदर मज्जा ब्लड स्टेम सेल (अपरिपक्व कोशिकाएं) पैदा करता है। जो विकसित हो संक्रमण से लड़ती हैं।
बोन कैंसर
यह बच्चों में अधिक होता है। हड्डी में होने पर वहां सूजन, त्वचा का लाल होना, छूने पर गर्म, वजन घटने लगता है। पैर की हड्डी में होने पर चलने में, कुछ भी उठाने में दिक्कत होती
इन जांचों से पहचानते हैं
रोग की पहचान के लिए ऊतकों, कोशिकाओं का नमूना लेते हैं। पैप स्मियर टैस्ट इसके तहत महिलाओं में सर्विक्स (गर्भाशय) कैंसर की जांच के लिए सम्बंधित हिस्से से कोशिकाएं लेकर कैंसर सेल की पहचान की जाती है। मेमोग्राम यह जांच महिलाओं में बे्रस्ट कैंसर की पहचान के लिए कराया जाता है।
एमआरआइ टेस्ट
एमआरआइ मस्तिष्क, हड्डियों आदि के कैंसर की पहचान के लिए किया जाता है। इससे ट्यूमर की सटीक जानकारी मिलती है। यह शरीर के अंदरूनी अंगों की विस्तृत तस्वीर तैयार करती है। सीबीसी इसे कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट भी कहते हैं। इस जांच से रक्त कैंसर और संबंधित रक्त विकारों की पहचाना करते हैं।
सिम्टोमैटिक टेस्ट
आनुवांशिक कैंसर की पहचान के लिए स्वस्थ लोगों की जांच करते हैं। जीन्स म्यूटेशन की जानकारी करते हैं। इसक विश्लेषण कर कैंसर कब-कहां होगा की जानकारी करते हैं।

एक्सपर्ट : डॉ. संदीप जसूजा, कैंसर रोग विशेषज्ञ