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सदाबहार के फूल-पत्तियों का जूस मधुमेह के मरीजों के लिए रामबाण

घर के गमलों में लगने वाले बैंगनी फूल सदाबहार में हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाए जाते हैंं। जिन्हें मधुमेह की समस्या है अगर वे सदाबहार की पत्तियों और फूलों का रस लेते हैं तो बीटा पैंक्रियाज सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और इंसुलिन बनना शुरू होता है।

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Sadabahar

Sadabahar: A natural way to control diabetes

सदाबहार के फूल-पत्तियों के जूस से घटता शुगर लेवल

घर के गमलों में लगने वाले बैंगनी फूल सदाबहार में हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाए जाते हैंं। जिन्हें मधुमेह की समस्या है अगर वे सदाबहार की पत्तियों और फूलों का रस लेते हैं तो बीटा पैंक्रियाज सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और इंसुलिन बनना शुरू होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन जर्नल में प्रकाशित एक लेख के अनुसार सदाबहार के पत्तियों और फूलों का रस लेने से शरीर में ग्लूकोज लेवल काफी सामान्य हो जाता है।

सदाबहार का जूस कैसे बनाएं:

- 10 से 15 सदाबहार के फूलों को साफ करके धो लें।
- फूलों को एक ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह पीस लें।
- पेस्ट को एक कपड़े से छान लें।
- छाने हुए जूस को एक गिलास पानी में मिलाकर पी लें।

सदाबहार का जूस कैसे पीएं:

- सदाबहार का जूस सुबह खाली पेट पीना सबसे फायदेमंद होता है।
- शुरुआत में एक चम्मच जूस से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं।
- मधुमेह के गंभीर रोगी अपने चिकित्सक की सलाह के बाद ही सदाबहार का जूस लें।

सदाबहार का जूस के फायदे:

- सदाबहार का जूस रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है।
- यह रक्त में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है।
- यह हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य मधुमेह संबंधी जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

सदाबहार का जूस के नुकसान:

- सदाबहार के जूस के कोई गंभीर नुकसान नहीं हैं, लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है।
- यदि आपको सदाबहार या इसके किसी भी घटक से एलर्जी है, तो इसका सेवन न करें।
- गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सदाबहार का जूस लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आयुर्वेद में सदाबहार के फूलों और पत्तियों का उपयोग शरीर में ग्लूकोज लेवल को नियंंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसके जूस को हमेशा सुबह के समय खाली पेट पीना ज्यादा फायदेमंद होता है। सामान्य रूप से एक-दो चम्मच रस रोज लेने से कोई समस्या नहीं है। इससे लाभ ही मिलेगा लेकिन जिनका मधुमेह स्तर बहुत ज्यादा है तो उन्हें इसकी मात्रा अपने चिकित्सक की राय के बाद ही तय करनी चाहिए। इसके साथ ही अपनी डाइट, नियमित व्यायाम और सही दिनचर्या भी रखें।
- डॉ. हरीश भाकुनी, वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान


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