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Basant Panchami 2018 शिक्षक दंपति ने घर में बनाया सरस्वती मंदिर, वजह है कुछ खास

हर वर्ष धूमधाम से मनाते हैं जयंती समारोह

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Basant Panchami 2018 Saraswati Puja Vidhi in Hindi

Basant Panchami 2018 Saraswati Puja Vidhi in Hindi

शकील नियाजी/पिपरिया। सोमवार को वीणा पाणि मां सरस्वती जयंती महोत्सव सुभाष वार्ड स्थित सरस्वती मंदिर में विधि विधान से मनाई गई। दरअसल यह मंदिर कई मायनों में खास है। इस मंदिर को बनाने वाले एक शिक्षक दंपति हैं, यह ब्लॉक में एक मात्र सरस्वती मंदिर है जिसका शिक्षक दंपत्ति ने नागरिकों के सहयोग से अपने घर में ही निर्माण कराया है। सरस्वती मंदिर में सोमवार को २४ वां सरस्वती जयंती समारोह मनाया गया। शिक्षक दंपत्ति आरएन शर्मा, रेखा शर्मा मंदिर निर्माण को लेकर बताते हैं कि उनके दिन बड़ी गरीबी में गुजरे। नागरिकों के स्नेह, सहयोग और मां सरस्वती की ऐसी कृपा बनी की धीरे-धीरे फलने फूलने लगे। उन्होंने बताया कि विपरीत परिस्थितियों में जब किराए के लिए पैसे नहीं होते थे तो मोहल्ला छोडऩे का निर्णय लिया लेकिन कुछ पड़ोसी मुस्लिम भाइयों ने उन्हें रोका जरुरत के हिसाब से पैसा देकर मदद की तो वे वहींं रुक गए। प्रारंभ से ही पढऩे लिखने और पढ़ाने का शौक था इसमे मां सरस्वती की कृपा सदैव बनी रही।

दो साल तक नहीं किया गृह प्रवेश
एक समय आया जब स्वयं का घर निर्माण किया, लेकिन दो साल तक गृह प्रवेश नहीं किया इसके लिए घर के ऊपर ही मां सरस्वती मंदिर निर्माण का प्रण रेखा शर्मा ने ले रखा था। मंदिर के लिए कक्ष तैयार कर लिया लेकिन मूर्ति के लिए धन का अभाव रहा लेकिन इसमें भी आस पास के सभी वर्ग के परिवारों से चंदा एकत्र कर मां सरस्वती की सुंदर प्रतिमा लेकर आए और मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की। शिक्षक का कहना है कि मां सरस्वती की कृपा से आज परिवार में आर्थिक, सामाजिक, मानसिक रूप से इतना सबल है यह मां सरस्वती का ही प्रताप है।

प्रकृति होगी अनुकूल
आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि बसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति अनुकूल होने लगती है जो व्यक्ति शीत के प्रभाव से अस्वस्थ है, उनको स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होने लगता है। बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु सुहावना लगने लगता है। बसंत ऋतु के अगमन से ही वातावरण का तापमान प्राय: सुखद लगने लगता है।

बच्चों से कराए पूजन
वैदिक विद्वानों से अनुसार इस दिन अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं से माँ सरस्वती का पूजन अर्चना करानी चाहिए। सरस्वती माता को धूप, दीप, पुष्प अर्पित कर प्रणाम करें। आचार्य सोमेश परसाई के अनुसार बसंत पंचमी माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि माघ शुक्लपक्ष पंचमी के दिन ही विद्या की देवी माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। शास्त्रों के अनुसार साल की प्रमुख 6 ऋतुओं में अत्यधिक महत्व बसंत ऋतु का ही है।