
farmers start protest against bjp government
पिपरिया। मोदी सरकार की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब २२ गांव के किसान अपनी मागों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं। मामला मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया है। जहां करीब सात हजार हैक्टेयर में फैले बूढ़े बांध के गहरीकरण और उसकी मरम्मत नहीं होने के विरोध में शुक्रवार को किसानों १० किमीं की पैदल यात्रा निकाली।
१५ दिन में सुधारें स्थिति
शुक्रवार सुबह ग्राम खेरी के ग्रामीणों ने डोक्रिखेड़ा बांध में जल भराव की मांग परियोजना को मूर्त रूप दिलाने के लिए पैदल मार्च शुरु किया। किसान करीब १० किमी पैदल चलकर दोपहर १ बजे पिपरिया पहुंचे। यहां पर एसडीएम को ज्ञापन देकर बांध के मरम्मत की मांग की है। १५ दिन में सुनवाई नहीं होने की स्थिति में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने की बात कही।
यह है किसानों का दर्द
दरअसल किसानों है साठ साल पुराना बूढ़ा बांध। सात हजार हैक्टेयर में फैले इस बांध के गहरीकरण से लेकर अन्य मरम्मतों के लिए 24 करोड़ की योजना बढ़कर 100 करोड़ की हो गई, लेकिन हर बार आश्वासन से ज्यादा कुछ नहीं हुआ। इस बांध पर 22 गांव के लोग निर्भर हैं। 60 साल पुराना यह बांध अब तक सिर्फ 14 बार ही पूरा भर पाया है।
इन गांवों के किसानों ने दक्षिण क्षेत्र डोकरीखेड़ा बांध की लड़ाई लडऩे के लिए डोकरीखेड़ा बांध किसान संघर्ष समिति बनाई है। समिति ने गुरुवार को पे्रसवार्ता कर अपने इरादे भी जता दिए। किसान रमेश पटेल,मनोहर पटेल सहित अनेक गांव के सरपंचों का कहना है कि बांध खाली रहता है जिससे किसानों को सिंचाई का पानी नही मिल पा रहा है। इसे देनवा नदी से जोडऩे का काम अधर में है। किसानों ने अब इसके लिए हर स्तर पर आंदोलन करने का संकल्प लिया। इनका कहना है, सिल्ट और मिटटी जमने से डेम का जल स्तर भी सतही रहता है गर्मी आते ही यह सूख जाता है। आज तक गहरीकरण नहीं किया है।
फाइलों में योजना
सब इंजीनियर जेपी पटेल बताते हैं कि देनवा से ओपन चैनल, टनल से पानी डेम तक लाने की योजना का सर्वे हो चुका है। डीपीआर तैयार है करीब सौ करोड़ की बजट राशि है इसकी मंजूरी नही मिली है। डैम में पानी रहने से क्षेत्र का जल स्तर बढ़ेगा। साथ ही वर्ष भर किसानों पानी मिल सकता है।
जलस्तरगिरा, नलकूप हो रहे फेल
इस क्षेत्र में जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि नलकूप खनन भी फेल हो रहे है। इससे सबसे ज्यादा छोटे किसान परेशान हैं।
तीन हजार हैक्टेयर खेती निर्भर
जल संसाधान विभाग के अनुसार डेम ६० साल पुराना है महज १४ बार ही डैम पूरा भरा है। लगभग १५ गांव के किसानों के लिए यह प्रमुख साधन है। डैम में पूरा भरा रहने से आस पास के क्षेत्र का जल स्तर बढ़ेगा अन्य गांव और खेत भी सिंचित होंगे। डैम का कमांड एरिया करीब ७ हजार हैक्टैयर है।
Published on:
02 Feb 2018 02:13 pm
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