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हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकालकर…..

सदियों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा हमारा देश अपने संघर्ष और बलिदान की कहानी खुद ब खुद कहता है

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Govind chouhan@patrika

1857 का विद्रोह : इसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भी जाना जाता है। इसी शुरुआत मेरठ से हुई थी जो देश भर में फैली थी। यह विद्रोह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दो वर्षों तक चला। इस विद्रोह का आरंभ छावनी क्षेत्रों में छोटी झड़पों और आगजनी से हुआ था और आगे चलकर इसने एक बड़ा रूप ले लिया।

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चम्पारण सत्याग्रह ( 1917 ) : महात्मा गांधी के नेतृत्व में बिहार के चंपारण जिले में साल 1917-18 में एक सत्याग्रह हुआ। इसे चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। 10 अप्रैल 1917 को ही मोहन दास करमचंद गांधी ट्रेन से चंपारण पहुंचे थे और अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह का ऐलान किया था।

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जलियां वाला बाग हत्याकांड (1919) : जलियांवाला बाग नरसंहार की खौफनाक याद आज भी सिहरन पैदा कर देती है। अप्रैल 1919 को बैखासी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हज़ारों लोगों को घायल कर दिया था।

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असहयोग आंदोलन ( 1920 ) महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में सितंबर 1920 से फरवरी 1922 तक असहयोग आंदोलन चलाया गया। आंदोलन पूरे देश में जोर-शोर से चला था। पूरा हिंदुस्तान सड़कों पर उतर आया था। इस आंदोलन ने दिल्ली से लेकर ब्रिटेन तक अंग्रेजी हुक्मरानों को हिला दिया था।

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चौरीचौरा कांड ( 1922 का ) : आजादी की लड़ाई में चौरीचौरा कांड एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा। गोरखपुर के चैरीचैरा में आंदोलन कर रहे किसानों और स्थानीय लोगों पर पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। गुस्साए लोगों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी थी। बापू ने इसके बाद अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।

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नमक आंदोलन ( 1930 ): इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से की थी। यह यात्रा समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी के लिए थी जहां जाकर बापू ने भारत में नमक बनाने के लिए अंग्रेजों के एकछत्र अधिकार वाला कानून तोड़ा और नमक बनाया था।

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भारत छोड़ो आंदोलन : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने का काम किया था। यह वह आंदोलन था जिसमें पूरे देश की व्यापक भागीदारी रही थी।

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झंडा सत्याग्रह ( 1923) : देश में झंडा सत्याग्रह (झंडा आंदोलन) की चिंगारी 18 मार्च 1923 को जबलपुर से फैली थी। इस देशव्यापी आंदोलन का नेतृत्व सरदार वल्लभाई पटैल ने किया था। इस आंदोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने आंदोलनकारियों को जेल में बंद करना शुरु कर दिया। चार माह तक चले आंदोलन में करीब 17 सौ आंदोलनकारियों को जेल में बंद किया गया। यह आंदोलन इसलिए खास था क्योंकि इस अंादोलन में ब्रिटिश झंडे की बजाय आंदोलनकारियों ने देश का झंडा फहराया था

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आजाद हिंद फौज का गठन : 1942 में भारत को अंग्रेजों के कब्जे से आजाद कराने के लिये आजाद हिंद फौज नाम की सशस्त्र सेना का गठन किया गया। जो लगभग एक सात तक अस्तित्व में रही बाद में सन 1943 में सुभाष चन्द्र बोस ने इसे पुनर्जीवित किया।

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स्वदेशी आन्दोलन : भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। स्वदेशी का अर्थ है - अपने देश का। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुंचाना व भारत के लोगों के लिए रोजगार सृजन करना था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी को अपनाना था।

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आजादी की पहली सुबह (1947) : 15 अगस्त 1947 का दिन देश के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसकी संवेदना हर भारतीय के हृदय मेें है ! यही वो दिन था जब आधुनिक भारत ने आजादी की हवा में सांस लेना शुरु किया। और तब से हम आजादी का जीवन जी रहे हैं। इस आजादी को पाने का श्रेय किसी एक को नहीं जाता अपितु हर भारतवासी को जाता है।

Govind chouhan@patrika