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छत्र केे कपाल पर नाम तेरा अमर रहा, भारत मां की रक्षार्थ काल से समर रहा

शिवाजी महाराज जयंती पर शोभापुर एसएस कान्वेंट स्कूल में काव्य गोष्ठी, 'घर-घर कविता अभियानÓ के तहत किया आयोजन

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छत्र केे कपाल पर नाम तेरा अमर रहा, भारत मां की रक्षार्थ काल से समर रहा

छत्र केे कपाल पर नाम तेरा अमर रहा, भारत मां की रक्षार्थ काल से समर रहा

सोहागपुर. ग्राम शोभापुर के एसएस कान्वेंट स्कूल में बुधवार रात वीर शिवाजी महाराज की जयंती पर काव्य गोष्ठी का आयोजन सोहागपुर साहित्य परिषद के सहयोग से किया। शाम साढ़े सात बजे प्रारंभ किया गया कार्यक्रम रात साढ़े नौ बजे तक चला। इस दौरान सोहागपुर व शोभापुर के नव कवियों ने राष्ट्रवाद पर रचित कविताएं सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही प्राप्त की।
स्कूल संचालक संदीप चतुर्वेदी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुवात मां सरस्वती व वीर शिवाजी के चित्र के पूजन व माल्यार्पण से की। सोहागपुर साहित्य परिषद सचिव श्वेतल दुबे ने परिषद के घर-घर कविता अभियान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फूहड़ व अश्लील होते जा रहे स्टेंड अप कामेडी के दौर मेंं साहित्य को बचाने का सोहागपुर साहित्य परिषद का एक प्रयास है घर-घर कविता। जिसमें अधिक से अधिक युवाओं व युवतियों को सकारात्मक व वास्तविक साहित्य से जोडऩे के प्रयास साहित्य परिषद द्वारा संरक्षक डॉ. अरविंद सिंह चौहान व अध्यक्ष पं. राजेंंद्र सहारिया के नेतृत्व में किए जा रहे हैं। अंत में संदीप चतुर्वेदी ने सभी कवियों तथा श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस दौरान विशिष्ट श्रोताओं के रूप में सर्व ब्राम्हण समाज अध्यक्ष शरद दुबे, जपं सदस्य विनय पटेल, सुदीप दुबे, कैलाश मेहरा, मारुति सिंह पटेल, कृष्णा ठाकुर, आशीष भार्गव, रेवा पाल, हैप्पी नामदेव, पीयूष मिश्रा, प्रदीप कुशवाहा, फरहान खान, फैजान खान, सचिन प्रजापति, भानुप्रताप पाल आदि उपस्थित थे।
अर्पित किए शब्द सुमन:
जीवन दुबे, पथिक- वीर शिवाजी के वंशज हम, राणा जी की आंखों के तारे, हिंद साम्राज्य के संस्थापक, भारत मां के राजदुलारे।
संजय दीक्षित- है वादा फिर आज मेरा, उसे शेर शिवाजी सरकार से, मां जीजा के दुलार से-भवानी की तलवार से।
श्वेतल दुुबे- छत्र के कपाल पर नाम तेरा अमर रहा, भारत मां की रक्षार्थ काल से समर रहा।
शैलेंद्र शर्मा- अति पुनीत पावन अवसर-सुंदर दिन है आज, भारत की सुंदर धरा पर पधारे शिवाजी महाराज।
संदीप चतुर्वेदी- दुश्मन अमन के जब तक न मारे जाएंगे, राष्ट्रभक्ति कितनी ही प्रबल हो, हम जंग पर जंग हारे जाएंगे।
प्रबुद्ध दुबे, दीप- सच बोलूं तो बवाल-न बोलूं तो बवाल, सच बोलूं तो मुझ पर ही उठते हैं सवाल।
अमित बिल्लौरे, अमृत- देश के जवान को-सुकूं के पैगाम को सरहद पर देखता हूं, जिसे तुम ढूंढते रहे अयोध्या में, मैं उस भारत पुत्र श्रीराम को सरहद पर देखता हूं।