
second-death-from-swine-flu-in-district
होशंगाबाद। स्वाइन इंफ्लुएंजा को स्वाइन फ्लू के नाम से भी जाना जाता है जो कि इंफ्लुएंजा वायरस से होता है और यह वायरस शूकर के श्वसन तंत्र से निकलता है। इस वायरस में परिवर्तित होने की क्षमता होती है। जिससे यह आसानी से लोगों में फैल जाता है। दुनियाभर में फैल रही स्वाइन फ्लू जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव करना जरूरी है। यदि हम सभी थोड़ी सावधानी रखें तो इससे बचा जा सकता है। यदि फिर भी इसके लक्षण दिखाई दें तो घबराएं नहीं, क्योंकि इसका इलाज हर शहर के सरकारी *****्पताल में संभव है। आइए हम आपको इसके कुछ लक्षण के बारे में बताते हैं, जिससे इन लक्षणों के आते ही आप अपने नजदीकी चिकित्सालय में इलाज ले सकते हैं। होशंगाबाद जिले में अब तक स्वाइन फ्लू से तीन मौत हो चुकी हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण वैसे तो सामान्य सर्दी जुकाम जैसे होते हैं परंतु इससे 100 डिग्री तक की बुखार आने की संभावना रहती है। भूख लगना कम हो जाती है और नाक से पानी आता है। कुछ लोगों को गले में जलन, ऊल्टी और डायरिया भी हो सकता है। जिस किसी को भी स्वाइन फ्लू होता है। उसमें उपरोक्त लक्षणों में से कम से कम तीन लक्षण तो जरूर दिखाई देते है।
फ्लू और सामान्य सर्दी को कैसे पहचाने?
जब सामान्य सर्दी होती है तो वह जल्दी ठीक हो जाती है। लेकिन फ्लू होने पर वह जल्दी ठीक नहीं होती और उसका प्रभाव अधिक घातक होता है। शरीर में कमजोरी बनी रहती है। भूख नहीं लगती और बुखार आता-जाता रहता है। सरदर्द के साथ गले में जलन भी होती है।
1. सर्दी लगने पर बुखार अधिकांश नहीं आता, परंतु स्वाइन फ्लू होने पर 100-102 डिग्री बुखार बना रहता है।
2. सर्दी लगने पर सरदर्द और बदन दर्द बहुत कम होता है, परंतु स्वाइन फ्लू होने पर काफी सरदर्द होता है। और हनीय बदनदर्द होता है।
3. सर्दी लगने पर कम कमजोरी आती है, परंतु स्वाइन फ्लू से अत्याधिक कमजोरी महसूस होती है।
4. सर्दी होने पर नाक जाम हो जाती है, परंतु स्वाइन फ्लू होने से नाक जाम नहीं होती है।
स्वाइन फ्लू बीमारी कैसे फैलती है?
यह बीमारी इंसान से इंसान को लगती है, जब कोई स्वाइन फ्लू का मरीज छींकता है तो उसके आसपास 3 फीट की दूर तक खड़े व्यक्ति के शरीर में स्वाइन फ्लू का वाइरस प्रवेश कर जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने छींकते समय नाक को हाथ से ढक लेता है इसके बाद वह जहां कहीं भी उस हाथ को लगाता है (दरवाजे, खिडकियां, मेज, दीवार, ग्लास) वहां यह वाइरस लग जाता है और फिर वहां से किसी अन्य व्यक्ति के हाथों पर लगकर शरीर में प्रवेश हो जाता है।
क्या-क्या सावधानी रखी जानीं चाहिए?
1. छींकते समय टिश्यू पेपर से नाक को ढकें और फिर उस पेपर को कचरे में फेंक दें।
2. अपने हाथों को लगतार हैंड बॉस से हाथ साफ करते रहे अपने घर के, ऑफिस के दरवाजों के हेडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करवाते रहे।
3. यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई दें तो घर से बाहर ना जाएं और दूसरों के नजदीक ना जाएं।
4. यदि आपको बुखार आए तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहे। लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाडे्रशन ना हो।
5. संभव हो तो फेसमास्क पहन ले।
स्वाइन फ्लू होने पर क्या करें?
अगर आप कहीं भीड़ वाले स्थान से आए हैं या आप किसी सार्वजनिक स्थान पर गए हैं जहां काफी भीड़ है, तो अपनी तबियत पर गौर करें यदि आपको बुखार लग रहा हो, खांसी आ रही हो, गले में जलन हो रही हो और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो तत्काल अपने शहर के सरकारी पताल में जाकर स्वाइन फ्लू की जांच कराएं।
स्वाइन फ्लू का इलाज
स्वाइन फ्लू का इलाज आमतौर पर संभव है। एंटीवायरल दवाओं का कोर्स करने से इस बीमारी से लड़ा जा सकजा है। ये दवाई इस वाइरस को फैलने और अपनी संख्या बढ़ाने से रोकती है। यदि स्वाइन फ्लू होने 48 घंटों के भीतर इन दवाओं का उपयोग शुरू कर दिया जाए तो इनका अच्छा होता है। लेकिन ये दवाईयों चिकित्सकों के निरीक्षण में ही लेनी होती है। इने कुछ साइड इफैक्ट भी हैं जैसे कि जी मचलाना,ऊल्टी बैचेनी आदि।
इन्हे सबसे अधिक खतरा है स्वाइन फ्लू से
1. सांस की बीमारी है जैसे कि दमा।
2. इसके अलावा जिन्हे ह्वदय की, यकृत की, न्यूरोलोजिकल बीमारी है।
3. जिन्हें मधुमेह है उन्हें भी काफी खतरा है।
4. इसके अलावा गर्भवती महिलाओ और 5 साल से कम आयु के बच्चों को भी काफी खतरा है।
Published on:
08 Sept 2017 12:35 pm
बड़ी खबरें
View Allहोशंगाबाद
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
