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नर्मदा किनारे 300 मीटर के दायरे के अतिक्रमणों मामले में होशंगाबाद को मिली राहत

जबलपुर हाइकोर्ट ने 16 मार्च को आदेश दिया

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Court

होशंगाबाद/नर्मदा नदी से 300 मीटर के दायरे में मास्टर प्लान जबलपुर के अनुसार सिर्फ ग्वारीघाट, भेड़ाघाट एवं तिलवारा घाट पर काबिज एचएफएल से 300 मीटर के प्रतिबंधित हरित क्षेत्र के करीब 75 पक्के अतिक्रमणों को हटाने के संबंध में जबलपुर हाइकोर्ट ने 16 मार्च को आदेश दिया है। जिले के लिए राहत की बाद यह है कि इसमें होशंगाबाद शामिल नहीं है। इस संबंध में नर्मदांचल बिल्डर्स एसोसिएशन ने गुरुवार को विज्ञप्ति जारी कर स्थिति स्पष्ट की है। एसोसिएशन संचालक आनंद पारे एवं मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि दुष्प्रचारित किया जा रहा था कि यह नियम होशंगाबाद, मंडला, ओंकारेश्वर एवं महेश्वर पर लागू है, परंतु हाइकोर्ट के स्पष्ट आदेश से यह समस्त कुशंकाएं समाप्त हो गई हैं। क्योंकि नर्मदा नदी तट से कितने मीटर तक निर्माण नहीं होना है। यह संबंधित शहर के मास्टर प्लान पर निर्भर है। बता दें कि हाईकोर्ट ने यह निर्णय नर्मदा मिशन सहित तीन याचिकाओं की सुनवाई में दिया है। मिशन के संस्थापक संत भैयाजी सरकार बीते 155 दिनों से अन्न का परित्याग कर नर्मदा के संरक्षण के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं।

नर्मदा मिशन ने किया कोर्ट के फैसले का स्वागत
इधर, नर्मदा मिशन जबलपुर ने मेल के जरिए भेजी विज्ञप्ति में मां नर्मदा के संरक्षण-संवर्धन की दिशा में शासन-प्रशासन को एचएफएल से 300 मीटर के प्रतिबंधित हरित क्षेत्र से अतिक्रमण-निर्माण हटाने के हाइकोर्ट के आदेश को एतिहासिक बताते हुए स्वागत किया है। मिशन का कहना है कि कोर्ट के इस आदेश से दयोदय जैसी संस्थाओं एवं दबंग पूंजीपतियों माफियाओं पर लगाम लगी है। गुप्त हो रही मां नर्मदा विलुप्त हो रहे जीवन क्षेत्र के संरक्षण की दिशा में मप्र उच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले का नर्मदा मिशन एवं सामाजिक धार्मिक पर्यावरण से जुड़े संगठनों ने स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया है।
इनका कहना है...
हाइकोर्ट के उक्त आदेश व इससे संबंधित तीन पिटीशन का अध्ययन कराया जा रहा है कि होशंगाबाद जिले से संबंधित है या नहीं। इसके लिए विधि विशेषज्ञों से राय उपरांत कार्रवाई की जाएगी।
-जीपी माली, अपर कलेक्टर होशंगाबाद