
Mahatma Gandhi statement on Madhya Pradesh Sthapna Diwas
हरदा। मध्यप्रदेश बुधवार को अपना स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। भले ही प्रदेश की स्थापना १ नवंबर १९५६ को कर हुई थी, लेकिन कई साल पहले प्रदेश के ही हरदा जिल को प्रदेश के ह्दय स्थल की संज्ञा मिल गई थी। दरअसल 8 दिसंबर 1933 में महात्मा गांधी ने आजादी के एक आंदोलन के सिलसिले में हरदा प्रवास पर आए थे, इस दौरान उन्होंने नगर को प्रदेश के ह्दय नगर की संज्ञा दी थी। नगर के श्याल साकल्ले कहते हैं कि हरदावासियों के स्नेह से अभिभूत महात्मा गांधी ने हरदा को हृदय नगर की संज्ञा दी थी।
उस समय यहां बापू को सुनने के लिए लाखों लोग एकत्र हुए थे। इसी समय हरदावासियों ने आजादी के आंदोलन के लिए बापू को मानपत्र के साथ 1633 रुपए और 15 आने की थैली भी भेंट की गई थी। इस दौरान जहां पर बापू रुके थे उस जगह को आज बापू कुटी के नाम से जाना जाता है।
स्नेह से अभिभूत होकर दी थी यह संंज्ञा
हरदावासियों के स्नेह से अभिभूत महात्मा गांधी ने हरदा को हृदय नगर की संज्ञा दी थी। तत्कालीन हरिजन छात्रावास (यही परिसर) में गांधीजी ने चरखा भी चलाया और करीब एक घंटे विश्राम किया था।
बापू ने किया था नगर भ्रमण
नगर के श्याम साकल्ले बताते हैं कि स्थापना के पहले ही प्रदेश की ह्दय नगरी बन गया था हरदा, 8 दिसंबर 1933 को बापू सोहागपुर से यात्रा कर हरदा आए थे। नगर भ्रमण करते हुए वे जिमखाना ग्राउंड (वर्तमान एलआईजी कॉलोनी) पहुंचे थे। यहां उनको सुुनने के लिए करीब एक लाख लोग मौजूद थे, बापू को मान पत्र के साथ 1633 रुपए 15 आने की थैली भेंट किए थे।
नगर के लिए गौरवशाली दिन
इस संबंध में विधायक डॉ. दोगने कहते हैं कि शहर के लिए यह गौरव की बात रही थी कि बापू यहां आए। आने वाली पीढ़ी के लिए बापू कुटी राष्ट्रपिता की याद को लेकर प्रेरणादायी रहेगी।
Updated on:
01 Nov 2017 02:54 pm
Published on:
01 Nov 2017 01:38 pm
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