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नाम बदलने के बाद कैसे बदलेगा नर्मदापुरम का भाग्य.. क्या है ज्योतिष की राय

मां नर्मदा की राशि वृश्चिक होने से पूरे इलाके में आएगी समृद्धि

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Narmdapuram

नर्मदापुरम् . होशंगाबाद का नाम छह सौ साल फिर से बदलकर नर्मदापुरम् हो गया है। केंद्र की अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बाद 7 फरवरी को प्रदेश शासन ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया। बाबई का नाम भी राष्ट्रकवि दादा माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर माखनगर कर दिया गया है। नर्मदा जयंती के मुख्य जलमंच जन्मोत्सव के पहले मंगलाचरण के दिन जिला-संभागीय मुख्यालय सहित कलेक्टे्रट-कमिश्नर भवन सहित अन्य सरकारी कार्यालयों के भी होशंगाबाद के नाम को बदलकर नर्मदापुरम् लिख दिए गए। सेठानीघाट पर मुख्य आयोजन की तैयारियों के साथ ही प्रशासन नामकरण से स्वरूप बदलने में जुटा रहा। बता दें कि मां नर्मदा की जयंती पर देशभर में मनाई जाती है। प्रदेश के नर्मदापुरम् में भी सेठानीघाट पर 8 फरवरी की शाम साढ़े पांच बजे से लेकर साढ़े सात बजे तक मुख्य कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य अतिथि करेंगे। इस मौके पर वह नर्मदापुरम् जिले को लेकर अहम् घोषणाएं भी कर सकते हैं। शाम 6 बजे जलमंच से मां नर्मदा का पूजन व अभिषेक कर महाआरती की जाएगी। इस दौरान लाखों दीप नर्मदा जल राशि में प्रवाहित किए जाएंगे। इसके पहले मंगलवार को सुबह साढ़े 10 बजे मां का जन्मोत्सव एवं दोपहर में 3.30 बजे शोभायात्रा निकलेगी। दस साल के लंबे संघर्ष और सरकारी प्रक्रिया के बाद 7 फरवरी को होशंगबाद जिले का नाम उसकी पहचान नर्मदा नदी के कारण नर्मदापुरम हो गया, लेकिन इसके बाद लोगों को कई उम्मीदें भी हैं। आस्था के केंद्र और तेजी से पर्यटन हब की ओर बढ़ रहे इस जिले में कई ऐसे बदलाव और सुधार की जरूरत है। नर्मदा जल में सीधे मिल रहे 19 गंदे नाले और कटाव को रोकने, कच्चे राजघाट, नर्मदा तवा संगम स्थल बांद्राभान के तट को पक्का घाट व इसे पर्यटन केंद्र बनाने, नर्मदा में मछलियों की भारी कमी, महाशीर मछली को बचाने, नर्मदा की टूट रही धार को वापस जोडऩे, तट के 300 मीटर एरिया में हरियाली, जैवविविधता के संरक्षण, रेत के अंधाधुंध उत्खनन, चोरी रोकने जैसे बदलाव की उम्मीदें है।नर्मदा जयंती का अवसर आध्यात्मिक दृष्टि से एक बहुत ही सुंदर दिन है।

आध्यात्मिक और भौतिक रूप से भी पुष्टिदायक
नर्मदादेवी की राशि वृश्चिक है स्वामी मंगल है, जो मंगल शौर्य का पराक्रम पुरुषार्थ का दाता है इससे नर्मदापुरम् वासियों को आध्यात्मिक रूप से पुष्टि का मार्ग प्रशस्त करेगा। चूंकि शौर्य है तो इसका अर्थ है जो व्यक्ति यहां पर कर्म करेगा, मेहनत करेगा उसका फल भी मां नर्मदा देगी। ज्योतिष की दृष्टि वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है और आनंद नाम के संवत्सर में नर्मदापुरम् नाम रखा जा रहा है, इसलिए आने वाले समय में यह नाम फिर कभी नहीं बदल जाएगा, क्योंकि आनंद नाम के संवत्सर में रखा हुआ नाम कभी नहीं बदलाया जाता है। क्योंकि इसके पहले आंक्राताओं ने शहर का नाम होशंगाबाद रख दिया था। इसके पूर्व भी इस शहर-जिले का नाम नर्मदापुरम् ही था इसलिए बहुत अच्छा सुंदर योग है। ज्योतिष की दृष्टि से समूचे देश-प्रदेश के साथ नर्मदांचल क्षेत्र को लाभ होगा। आध्यात्मिक व भौतिक रूप से भी पुष्टिदायक रहेगा। प्रदेश व देश के राजा को भी राशि के अनुसार इसका फल मिलेगा।

IMAGE CREDIT: PATRIKA

अध्यात्म से जुड़े लोगों को विशेष लाभ मिलेगा
नर्मदापुरम् की कुंडली में लग्न का कारण सूर्य, बुध, शनि छठे भाव में बैठे हैं, तो पाप गृह छठे भाव में बैठने से राजयोग कारक योग बनाता है। मंगल-शुक्र पंचम भाव में है, जो बुद्धि के दाता है। बुद्धि का कारक गुरु केंद्र पर है। गुरु की दृष्टि लग्न पर है। तो लग्न पर होने के कारण जो आध्यात्मिक जीवन जिएगा, ईमानदारी से जिएगा वह सब प्रकार से सुखी रहेगा। चूंकि छठे भाव में सूर्य, बुध शनि है तो जो असत्य बोलेगा, लोगों को परेशान करेगा वह खुद परेशान रहेगा। ज्योतिष की दृष्टि से नवम् भाव पर चंद्रमा मेष राशि का बैठा हुआ है, चंद्रमा यानी बुद्धि का दाता तो भाग्य पर बुद्धि का दाता बैठा है। नर्मदा या उससे संबंधि भक्ति करने वालों को जिनने नर्मदापुरम् नाम में सहयोग किया है, उसे भी लाभ पहुंचेगा। मेष राशि है, ग्यारवें गुरु है। गुरु भी बहुत अच्छे केंद्र में है। तो अध्यात्म का दाता गुरु होने से अध्यात्म से व्यक्ति पुष्ट होने से व्यक्ति समृद्ध और धनवान बनेगा।

बाबई को भी चिरकाल तक मिलेगा फायदा
बाबई का नाम भी माखनगर रखा गया है। ये भी सिंह यानी सूर्य की राशि है, वहां के रहवासियों को भी शुभ लाभ मिलेगा। चूंकि नर्मदा जयंती पर इसकी घोषणा होने के कारण चिरकाल तक ये नाम कभी समाप्त नहीं होगा और नर्मदापुरम् वासियों को इसका लाभ मिलता रहेगा। पूरे देश-दुनिया में नर्मदापुरम् नाम लेते ही लोगों की नजरें झुक जाएंगी, देखेंगे की कोई आध्यात्मिक शहर है।
(पं. सोमेश परसाई, ज्योतिषाचार्य नर्मदापुरम् ने जैसा पत्रिका को बताया)