scriptसाहब…काम है नहीं, रसोई के लिए राशन चाहिए, बचत खर्च हो चुका, कैसे परिवार चलाएं | the untold story of daily wagers during lockdown in Hoshangabad | Patrika News

साहब…काम है नहीं, रसोई के लिए राशन चाहिए, बचत खर्च हो चुका, कैसे परिवार चलाएं

locationहोशंगाबादPublished: Apr 26, 2020 04:40:33 pm

Lockdown 2 effect
लाॅकडाउन में दिहाड़ी रोजगार वाले कामगारों को सताने लगी भूखमरी की चिंता

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लाॅकडाउन (lockdown) का सबसे प्रतिकूल असर दिहाड़ी रोजगार(daily wagers) करने वालों पर पड़ रहा है। डाॅकडाउन टू (lockdown 2)होते होते घर में राशन से लेकर बचत भी खत्म हो चुका है। तिस पर यह कि कोई काम है नहीं, ऐसे में अब घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है। यह मेहनतकश वर्ग अब परेशान है कि घर-परिवार को दो जून की रोटी कैसे उपलब्ध कराए।
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साहब...काम है नहीं, रसोई के लिए राशन चाहिए, बचत खर्च हो चुका, कैसे परिवार चलाएं
होशंगाबाद जिले (Hoshangabad) के पिपरिया (Pipariya) के तहसील काॅलोनी में रहने वाले 25 साल के मनोज मेहरा प्लंबरिंग (plumbering)का काम करते हैं। घर में मनोज के साथ उनके माता-पिता व दो बहनें हैं। पूरे घर की जिम्मेदारी मनोज के ही कंधों पर है। मनोज शहर में नल फिटिंग, मरम्मत आदि का काम करते हैं। कुछ दूकानों के माध्यम से उनको काम मिलता है, तमाम लोग सीधे भी संपर्क कर सर्विस लेते हैं। लेकिन लाॅकडाउन ने उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया है। एक महीना से अधिक समय हो गया कोई काम नहीं मिला। कहीं से काम के लिए कोई फोन भी आ रहा तो दूकानें बंद होने की वजह से सामान मिलना मुश्किल है।
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बकौल मनोज, ‘रोज कोई न कोई मिलता था, उसी से घर खर्च चलता है। छोटे शहर में काम की बहुत अधिकता नहीं होती लेकिन रोटी-दाल उससे चल जाती। लेकिन लाॅकडाउन में कोई काम नहीं है। थोड़ी बहुत बचत थी वह भी दो वक्त का भोजन जुटाने में खर्च हो चुका है। राशन की चिंता सताए जा रही है। अब समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए। अगर सरकार कोई मदद करे तभी मुश्किलों से कुछ राहत मिलेगी नहीं तो फांकाकशी की नौबत आने से कोई नहीं रोक सकता।
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साहब...काम है नहीं, रसोई के लिए राशन चाहिए, बचत खर्च हो चुका, कैसे परिवार चलाएं
पचास वर्षीय मुकेश सिंह की हालत भी मनोज से जुदा नहीं है। बैंसहथवास के रहने वाले मुकेश लाॅकडाउन की वजह से बेरोजगार हैं। घर पर पत्नी के अलावा एक बच्चा भी है। लाॅकडाउन में काम नहीं होने की वजह से राशन की चिंता खाए जा रही है। वह कहते हैं कि खान पान की चीजों की आपूर्ति जिस तरह हो रही है उसी तरह उन लोगों को भी प्रतिबंध के साथ छूट मिलनी चाहिए ताकि वह लोग प्लंबरिंग का काम कर अपना घर चला सके। सरकार की मदद मिल नहीं रही और कहीं काम करने जाने की छूट नहीं होने से भूखमरी की नौबत आने को है।
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