
train pantry car
इटारसी. कोरोना की रफ्तार घटने के बाद रेलवे ने पेंट्रीकार की सुविधा शुरू कर दी है लेकिन यात्री अब यहां के खाना से दूरी बना रहे हैं। नतीजा अब भी ज्यादातर यात्रियों की पसंद घर का खाना ही है। पेंट्रीकार में खाना वाले यात्रियों की संख्या घटकर 30 फीसदी रह गई है। कोरोना के पहले 20 डिब्बों के एसी और स्लीपर वाले कोच में जहां औसतन 200 से 250 यात्रियों का खाना पकता था, अब यह संख्या घटकर 60-80 यात्री तक ही सीमित रह गई है।
इस बारे में दक्षिण एक्सप्रेस के थर्ड एसी में सफर कर रहे यात्री सोमेश्वर राव ने बताया कि कोरोना काल के बाद वे ट्रेन में खाना खरीदने से परहेज कर रहे हैं। वैसे भी ट्रेन में खाना मंहगा हो गया है। गुणवत्ता में भी कोई सुधार नहीं हुआ है। इसलिए घर का खाना ही पहली पसंद कर रहे हैं। यही हाल अन्य ट्रेनों का भी है। इसके अलावा खाना महंगा होने से भी लोग पेंट्रीकार के खाना से परहेज कर रहे हैं।
ऑनलाइन ऑर्डर करने पर सस्ता मिल रहा खाना
यात्री पेंट्रीकार की जगह ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे हैं। इटारसी स्टेशन पर ऑनलाइन में खाना 120 से 180 रुपए में मंगा रहे हैं, जो ट्रेन के पेंट्रीकार की तुलना में कम है। स्टेशन से ट्रेन में आ रहा लंच 180 में मिलता है। चाय 10 और नाश्ता 60 से 80 रुपए में मिल रहा है। इस कारण भी यात्री पेंट्रीकार का खाना नहीं ले रहे।
टिकट खरीदते समय नहीं दे रहे चार्ज
यात्री टिकट खरीदते समय कैटरिंग का चार्ज चुकाना पसंद नहीं कर रहे हैं। यात्री घर से बना भोजन या फिर दूसरी ऑनलाइन ऑर्डर सुविधाओं का भोजन ले रहे हैं। आइआरसीटीसी किचन के इटारसी के सूत्रों के अनुसार आरक्षण के दौरान भोजन के विकल्प को यात्री अस्वीकार कर रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़, जीटी, तामिलनाडू, समता आदि ट्रेनों में भी 30 प्रतिशत यात्रियों ने पेंट्रीकार का खाना नहीं लिया है। खाने की ज्यादा आवश्यकता लंबी दूरी की ट्रेनों में होती है, लेकिन संक्रमण कम होने के बाद भी यात्री बाहर का खाना खाने से परहेज की दूरी खत्म नहीं किए हैं।
इनका कहना है
रेलवे ने यात्रियों को भोजन का विकल्प चुनने की छूट दी है। इस आधार पर यात्री अपनी इच्छा से भोजन का चयन करते हैं। जहां तक गुणवत्ता की बात है, तो शिकायत आने पर रेलवे तुरंत ही कार्यवाही करती है।
सुबेदार सिंह, पीआरओ, पमरे भोपाल मंडल।
Published on:
15 Mar 2022 01:03 am
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