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आदिवासियों का Diwali festival शुरु, पूरे एक माह चलेगा त्योहार

नई फसल से गाय को भोग लगाते हैं आदिवासी

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Tribals Diwali festival Start 2017

Tribals Diwali festival Start 2017

सारनी। धनतेरस से शुरु हुआ दीपोत्सव भाईदूज पर पांच दिन बाद खत्म हो गया। यह गलत है। जीहां, दरअसल आदिवासियों का दिवाली पर्व अब शुरु हुआ है जो पूरे एक माह तक चलेगा। दीपावली के दूसरे दिन से आदिवासी अंचलों में Diwali festival का त्योहार शुरू हो गया है। एक माह तक चलने वाले इस त्योहार को आदिवासी और गायकी समाज हर्षोल्लास के साथ मनाता है। इस दिन नई फसल से गाय को भोग लगाते हैं। पूरे गांव की परिक्रमा करते हैं। दोपहर के वक्त गौठान में मेला भरता है। जहां पर आदिवासी और गायकी समाज के कलाकार डंढार व सामूहिक लोकनृत्य की प्रस्तुति देते हैं।

एक माह पहले से देते हैं निमंत्रण
इस त्योहार के लिए एक माह पहले से ही तैयारियों का दौर गांव-गांव में शुरू हो जाता है। दिवाली के इस पर्व को मनाने के लिए ग्रामीण अपने रिश्तेदारों को पहले से ही निमंत्रण करते हैं ताकि जिस गांव में दिवाली हो। उस गांव में समाज व रिश्तेदार बहुतायात में पहुंचे और सभी मिलकर खुशियां मनाए। दीपावली के दूसरे दिन समीपस्थ ग्राम पंचायत छतरपुर के ढुमकाढाना और पुरानी सारनी में गौठान भरा। जिसे हम मेला भी कह सकते हैं। पुरानी सारनी में बतौर अतिथि नपाध्यक्ष आशा भारती, वरिष्ठ नेता तिरूपति एरोलू, महेन्द्र भारती गौठान में पहुंचे। जिन्हें अपने बीच देखकर ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं था।

नपाध्यक्ष ने दिया पुरस्कार
नपाध्यक्ष द्वारा सामूहिक लोकनृत्य व डंढार की प्रस्तुति पर 500 रुपए पुरस्कार भी दिए गए। वहीं ढुमकाढाना में समाजसेवी सुनील सरियाम, जगदीश उईके, देवकराम काकोडिय़ा, विजय सरियाम, मोहित, रामप्रसाद सरियाम समेत सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

गोबर में लिटाते हैं बच्चों को ताकि रहें निरोगी
बैतूल. बच्चों को निरोगी रखने यादव समाज द्वारा वर्षों से बच्चों को गोवर्धन पूजा के दिन गोबर में लिटाने की परंपरा निभाई जा रही है। समाज के लोगों द्वारा शुक्रवार को भी इस पूजा के दिन के बच्चों को गोबर में लिटाया। यह आयोजन टिकारी यादव मोहल्ले में हुआ। लगभग आधा सैकड़ा बच्चों को समाज के लोगों ने गोबर में लेटाया। इस अवसर पर समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
टिकारी यादव मोहल्ले में समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से शुक्रवार गोवर्धन पूजा की। समाज की महिलाओं ने अपने घरों से गोबर लाकर पुराने अस्पताल के पास एकत्र कर गोबर से गोवर्धन बनाया। मोहल्ले के लोगों ने घर से पूजा की थाल सजाकर लाई। इसके बाद गोवर्धन भगवान के ११ फेरे लगाकर पूजा-अर्चना की। सामूहिक रूप से गोवर्धन भगवान की पूजा की। गोवर्धन पूजा के लिए एक सैकड़ा से अधिक समाज के लोग उपस्थित हुए। इस अवसर पर भजन-कीर्तन भी किए। समाज के कमलेश यादव ने बताया कि वर्षोंं से समाज में यह परंपरा चली आ रही है। इसके पीछे मान्यता है कि बच्चों को गोबर में लिटाने से वे निरोगी रहते हैं। लगभग आधा सैकड़ा बच्चों को गोबर में लिटाया गया। गोवर्धन पूजा में समाज के सभी लोग शामिल होते हैं। उत्साह के साथ इसे मनाया जाता है।