
water crisis in sohagpur madhya pradesh news
सोहागपुर। गत वर्ष अल्प वर्षा के कारण इस साल की गर्मी की शुरुआत मेें ही इसका असर देखा जा रहा है। यहां तवा डैम के बैक वाटर क्षेत्र में मढ़ई के पास सतपुड़ा टाईगर रिजर्व प्रबंधन को बोरी बंधान बनाना पड़ रहा है। इसके अलावा कोर एरिया व बफर जोन में लगातार जल स्त्रोतों पर नजर रखनी पड़ रही है। बफर जोन में तो एक माह से पानी की वन्यजीवों के लिए सप्लाई टैंकर से की जा रही है।
पूछताछ में एसटीआर असिस्टेंट डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने बताया कि तवा डैम को पानी देने वाली देनवा नदी की धार बहुत पतली हो गई है। अल्पवर्षा और गर्मी का संयुक्त प्रभाव इस प्रकार हुआ है कि जहां बरसात में लगभग 70 से 80 मीटर तक लबालब पानी रहता है वहां पैर का पंजा डुबाने लायक पानी ही बचा है। जिसके कारण कोर एरिया से वन्यजीवों के बफर जोन में पलायन की स्थिति बन सकती है। और इस परेशानी से बचने के लिए तवा की धार पर अस्थायी रूप से बोरी बंधान बनाया जा रहा है। ताकि पानी का क्षेत्र थोड़ा विस्तारित हो सके और पानी की गहराई हो तो इसके क्षेत्र व भराव को देखते हुए कोर एरिया के हिंसक व शाकाहारी जीव बफर जोन क्षेत्र में न जाएं। रेंजर मुकेश डुडवे के अनुसार जल्द ही बोरी बंधान का कार्य पूर्ण हो जाएगा। इसमें पानी रुकेगा और चूंकि अधिक ऊंचाई नहीं दी गई है, इसलिए बंधान के भरने के बाद दूसरी ओर भी पानी जा सकेगा।
बफर में टैंकर का सहारा
उल्लेखनीय है कि बफर जोन क्षेत्र में एक माह से पानी पहुंचाने के लिए टैंकर का सहारा लिया जा रहा है। ताकि वन्यजीवों को पानी की तलाश में भटकना न पड़े। चूंकि बफर जोन क्षेत्र में कुछ गांव भी बसे हुए हैं, इसलिए पानी की तलाश बाघ, भालू, तेंदुआ, हिरण, नीलगाय आदि जैसे वन्यजीवों को गांवों के समीप पहुंचा सकती है। इसलिए वन्यजीवों को उनके क्षेत्र में बनाए रखने के लिए टैंकर से पुराने व सूख चुके जलस्त्रोतों में पानी प्रतिदिन भरा जा रहा है। यहां तक कि कुछ गांवों में भी ग्रामीणों को पेयजल की व्यवस्था देने टैंकर से पानी बफर व सामान्य वन क्षेत्र में पहुंचाया जा रहा है।
बन चुके शिकार
उल्लेखनीय है कि जब फरवरी माह में बैक वाटर को सतत पानी देने वाली देनवा नदी सूखने लगी थी तथा पानी मात्र एक फिट बचा था। तब कुछ हिरण कोर क्षेत्र से निकलकर धार पार करते हुए बफर जोन की ओर आ गए थे। तथा ग्रामीणों के कुत्तों ने इनमें से दो हिरणों का शिकार भी कर लिया था। जिसके बाद एसटीआर प्रबंधन हरकत में आया तथा पानी को बढ़ाने का विचार किया ताकि पानी की गहराई बढ़े, धार की चौड़ाई भी बढ़े, ग्रीन नेट लगाई जाए, चैक पोस्ट नुमा गश्ती व्यवस्था की जाए। ताकि हिरण या अन्य जीव कोर एरिया पार करते हुए बफर जोन की ओर न जाएं। इसी प्रक्रिया के तहत बोरी बंधान बनाया जा रहा है। ताकि पानी की मात्रा बढ़े और जीवों को कोर एरिया की सीमाओं में ही पानी भी उपलब्ध हो सके।
Published on:
15 Apr 2018 06:42 pm
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