
without key missing from bank vault 277 crores rupees
होशंगाबाद/हरदा. जिला सहकारी बैंक हरदा की तिजोरी से २ करोड़ ७७ लाख नकद गायब होने के मामले में पुलिस द्वारा सहआरोपी बनाए गए पूर्व सीईओ आरके दुबे पर तीन साल में भी विभाग कार्रवाई नहीं कर पाया। उनके निलंबन की कार्यवाही संचालक मंडल की बैठक में अटकी हुई है। इस कारण तीन साल पद पर न होते हुए भी दुबे सरकारी वेतन लेकर मौज कर रहे हैं। उनकी जगह बैंक में दूसरे सीईओ पदस्थ हैं। फिर भी वे नियमित दफ्तर आते हैं और तफरी कर चले जाते हैं।
ले रहे लाखों रुपए वेतन
सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक संरक्षण के चलते दुबे पर कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि सुप्रीमकोर्ट उनके खिलाफ निर्णय पारित कर चुका है। लेकिन जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल को उनके निलंबन पर मोहर लगाने में रूचि नहीं है। इस वजह से तीन साल से कोई काम किए बिना दुबे सरकार से लाखों रुपए वेतन ले रहे हैं। जबकि सरकार उनकी जगह आरबीएस राठौर को सीईओ पदस्थ कर चुकी है।
यह था मामला
चाबी हुई गायब, काटना पड़ा लॉकर
जिला सहकारी बैंक हरदा की शाखा से २२ जनवरी २०१५ को २ करोड़ ७७ लाख रुपए गायब हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने तत्कालीन बैंक मैनेजर सुदर्शन जोशी, कैशियर भावना काले और तत्कालीन सीईओ आरके दुबे के खिलाफ गबन का केस दर्ज किया था। इन तीनों के पास ही लॉकर की चाबी रहती थी। चाबी गायब थी, लॉकर काटकर खोला गया था, तब पता चला था कि पैसे गायब हैं। २४ जनवरी २०१५ को तात्कालिक बैंक अध्यक्ष योगेन्द्र मंडलोई ने दुबे का निलंबित कर उन्हें मुख्यालय पिपरिया शाखा अटैच किया था।
कर्मचारी दुबे के खिलाफ लामबंद
दुबे कार्रवाई खिलाफ हाईकोर्ट चले गए थे, जहां से उन्हें राहत मिल गई थी और वे बहाल हो गए थे। इस वजह से उनका वेतन आज भी जिला सहकारी बैंक से जारी हो रहा है। सीईओ का पद की पोस्ट के अंतर्गत आता है इस वजह से दुबे को उपस्थिति दर्ज करने की भी जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन अब उनके खिलाफ बैंक के कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक कर्मचारी संघ अध्यक्ष केपी मालवीय के नेतृत्व में सहकारिता आयुक्त रेणु पंत को ज्ञापन देकर उक्त मामले पर कार्रवाई की मांग की गई है।
संचालक मंडल नहीं चाह रहा कार्रवाई
बैंक संचालक ही नहीं चाह रहे कि पूर्व सीईओ दुबे पर कोई कार्रवाई हो यही कारण है कि संचालक मंडल की 30 दिसंबर 2017 की बैठक में दुबे के निलंबन प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगी। जबकि इन्हीं संचालकों ने 14 जून 2016 की बैठक में में दुबे के निलंबन के प्रस्ताव पर सहमति दी थी। अब बैंक प्रबंधन आगामी बैठक में दुबे के प्रस्ताव को शामिल करने की बात कह रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंक के पक्ष में दिया निर्णय
अपने निलंबन के खिलाफ पूर्व सीईओ दुबे ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जहां हाईकोर्ट की युगल बैंच ने 8 जुलाई 2016 को पूर्व सीईओ दुबे के पक्ष में आदेश दिया था, इसके बाद दुबे को बहाल कर दिया गया। हालांकि इसके बाद सहकारी बैंक की चलित बैठक में 16 जुलाई 2016 को उक्त फैसले को सुप्रिम कोर्ट में चुनौति देने का प्रस्ताव पारित किया और मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। सुप्रिम कोर्ट ने बैंक के पक्ष में निर्णय लेकर हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। इसके बाद उनके खिलाफ फिर निलंबन की कार्रवाई होना थी लेकिन आज तक नहीं की गई।
आरके दुबे के निलंबन का प्रस्ताव संचालक मंडल द्वारा पास नहीं किया गया है इस वजह से उनका वेतन जारी हो रहा है। आगामी बैठक में यदि निलंबन के प्रस्ताव स्वीकृत होगा तो उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा।
आरबीएस ठाकुर, सीईओ, सहकारी बैंक
Published on:
12 Jan 2018 04:27 pm
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