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बदल रहा माटी कला का संसार, जानें कैसे

सोहागपुर के हेमंत दे रहे भुस्कुटे न्यास में प्रशिक्षण

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World of changing art

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सोहागपुर। मप्र में माटी कला का क्षेत्र अब उन्नत हो चला है तथा इसे रोजगार के रूप में स्वीकार करने वालों की संख्या बढ़ रही है। उक्त क्षेत्र में सोहागपुर के हेमंत प्रजापति भी ट्रेनर के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं, जो कि फिलहाल में होशंगाबाद जिले के भुस्कुटे न्यास में माटी कला का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
प्रजापति ने बताया कि वे पाट्स बनाना, खिलौने बनाना, बर्तन बनाना, ठंडे पानी के लिए मिट्टी की ढक्कन युक्त बाटल बनाना, सजावटी सामग्री आदि बनाने का प्रशिक्षण बनखेड़ी में इन दिनों दे रहे हैं। उक्त प्रशिक्षण में 21 पुरुष व चार महिला हितग्राही प्रशिक्षण ले रहे हैं। जो कि देवास, होशंगाबाद, रायसेन, नरसिंहपुर, सागर आदि जिलों से आए हैं। हेमंत प्रजापति के अनुसार न्यास में उक्त शिविर इसलिए लगाया गया है ताकि विलुप्त होती मप्र की माटी कला को पुन: पहचान मिले तथा अधिक से अधिक युवा इस कार्य को रोजगार के रूप में आगे बढ़ाएं तथा जीविका उपार्जन करें।
सोहागपुर में सेंटर की तैयारी
प्रजापति के अनुसार वे सोहागपुर में भी एक प्रशिक्षण केंद्र खोलने का विचार रखते हैं। ताकि सोहागपुर क्षेत्र के युवा भी माटी कला का अपनाएं तथा इससे सजावटी सामग्री सहित रसोई के बर्तन बनाना सीखें व इसे रोजगार बनाएं। प्रजापति ने बताया कि सोहागपुर जैसे क्षेत्र में कम सही, लेकिन महानगरों व बड़े शहरों में मिट्टी के बर्तनों व सजावटी सामग्री की डिमांड पिछले तीन से चार सालों में बहुत बढ़ी है, तथा युवा इसमें अपना कैरियर भी बनाने लगे हैं।

युवाओं में भी उत्साह
इस मामले में सभी बड़ी बात यह है कि अब इस क्षेत्र में युवा भी सामने आ रहे हैं। जिस कारण इसका भविष्य काफी उज्जवल है। आधुनिकता के इस दौर में मिट्टी के बर्तन भी अपनी जगह बना रहे हैं। यही कारण है अब युवाओं के लिए इस क्षेत्र में करियर बनाने के अवसर भी बढ़ गए हैं।