
नई दिल्ली: काफी लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दे दी। हालांकि, अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को भी दी जाएगी। लेकिन फिलहाल मुस्लिम पक्ष इस बात से नाराज चल रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला सुनाया।
क्या है ASI की रिपोर्ट
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने एएसआई यानि भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को वैध माना। इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। साथ ही कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि खुदाई में जो ढांचा मिला वो इस्लामिक ढांचा नहीं था। अयोध्या जमीन विवाद मामले पर इस बात को कोर्ट ने माना कि ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन था। कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता। अपना फैसला पढ़ते हुए अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी।
क्या कहती है रिपोर्ट
लगभग 15 साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि ASI ने अयोध्या में विवादित जमीन की खुदाई की थी। इसमें कई चीजें मिली थी, जिनका ASI टीम ने वैज्ञानिक परीक्षण किया था। इसके आधार पर ही विवादित ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया था। खुदाई के दौरान मंदिर के पक्ष में मिले इन सबूतों ने फैसले में अहम भूमिक निभाई थी। वहीं कोर्ट में हिंदू पक्ष की दलील थी कि पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी राम जन्म स्थान का सटीक ब्यौरा है। इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर तोड़कर जबरन मस्जिद बनाई। ASI की खुदाई की रिपोर्ट में भी विवादित ढांचे के नीचे टीले में विशाल मंदिर के प्रमाण मिले।
Published on:
09 Nov 2019 01:54 pm
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