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गूगल की फाउंडर्स लिस्ट में इस शख्स को नहीं मिली थी जगह, सामने आई सच्चाई

1996 में गूगल एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में शुरु हुआ था

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नई दिल्ली: आप, आपका भाई-बहन, माता-पिता, कोई रिश्तेदार या कोई अन्य दोस्त हर किसी का कभी न कभी जन्मदिन आता ही होगा। ऐसा ही जन्मदिन आज गूगल का भी है। आज शुक्रवार को को गूगल 21 साल का हो गया है। गूगन ने इस मौके को खास बनाने के लिए अपना डूडल भी बनाया है। वहीं इस मौके पर हम आपको गूगल के उस तीसरे म के बारे में बताएंगे, जिसे कभी ये दर्जा मिला ही नहीं।

सब जानते हैं दो फाउंडर्स के बारे में

अगर आप किसी से पूछेंगे कि गूगल की खोज या इसे किन लोगों ने बनाया, तो आपको यही जवाब मिलेगा कि दो लोगों ने। इनके नाम है लैरी पेज और सर्जी ब्रिन। लेकिन इस कड़ी में एक और नाम है जिसने गूगल को बनाया और वो नाम है स्कॉट हसन। अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये कैसे? तो चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं। लगभग 23 साल पहले यानि जनवरी 1996 में गूगल एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में शुरु हुआ था।

क्यों नहीं मिला श्रेय

लैरी, सर्जी और स्कॉट ये तीनों ही पीएचडी के स्टूडेंट थे। स्कॉट इस रिसर्च प्रोजेक्ट के ओरिजिनल लीड प्रोग्रामर थे। गूगल के लिए ज्यादातर कोड स्कॉट ने ही लिखे हैं। लेकिन फिर भी उन्हें फाउंडर का दर्जा नहीं मिला। हुआ कुछ यूं की गूगल की एक कंपनी के रूप में शुरुआत साल 1998 में हुई। वहीं जब रिसर्च प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो एक कंपनी के रूप में गूगल के शुरू होने से पहले ही स्कॉट ने इसे छोड़ दिया। वो रोबोटिक्स में अपना आगे का करियर बनाना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने साल 2006 में विलो गैराज नाम से एक कंपनी शुरु की।