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जन्मदिन स्पेशल: जब अपनी इस बड़ी कामयाबी को नहीं देख पाए खुद आर डी बर्मन, ये है कारण

R D Burman Birthday: महज 9 साल की उम्र में किया था पहला गाना कंपोज अपने दौर के सबसे बड़े म्यूजिक कंपोजर थे बर्मन पिता ने बचपन में ही पहचान लिया था बर्मन की प्रतिभा को

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Prakash Chand Joshi

Jun 27, 2019

r d burman

जन्मदिन स्पेशल: जब अपनी इस बड़ी कामयाबी को नहीं देख पाए खुद आर डी बर्मन, ये है कारण

नई दिल्ली: वैसे तो बॉलीवुड ( Bollywood ) में कई संगीतकार, कई हीरो समेत कई ऐसे चेहरे हुए जो अपने नाम के साथ-साथ अपने काम के लिए भी जाने जाते हैं। लेकिन 60 के दशक से 80 के दशक तक अगर जिसने सुपरहिट गाने दिए, तो वो एक नाम है आर डी बर्मन का। उनका पूरा नाम राहुलदेव बर्मन ( Rahul Dev Burman ) है। आज ही के दिन यानि 27 जून 1939 में उनका जन्म हुआ था। अपने दौर में आर डी बर्मन ने कई ऐसे गीत ( song ) दिए, जिन्हें आज भी लोग सुनते और गुनगुनाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई कामयाबियां हासिल की, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें सबसे बड़ी कामयाबी मिली तो सही लेकिन वो इसे देखने के लिए खुद मौजूद नहीं थे।

क्या है वो किस्सा

बात 80 के दशक की है। जब आर डी बर्मन ( R D Burman ) को नाकामयाबी मिल रही थी। इन्हीं नाकामयाबियों के चलते उन्हें फिल्में नहीं मिल पा रही थी। लेकिन कहते हैं न वक्त तो एक न एक बार सबका बदलता है। बर्मन का भी बदला। उन्हें 90 के दशक की शुरुआत में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' में संगीत देने का मौका मिला। फिर क्या था उन्होंने इस फिल्म ( film ) के गीतों को संगीत दिया और लोगों ने उनके गानों को इतना प्यार दिया कि इस फिल्म के सभी गाने सुपरहिट साबित हुए। ये आर डी बर्मन के लिए बड़ी कामयाबी थी, लेकिन अफसोस वो इस कामयाबी को देखने के लिए जिंदा नहीं थे। अपनी आखिरी सफलता को देखने से पहले ही 55 साल की आयु में 4 जनवरी 1994 को उनका निधन हो गया था।

क्या कहते हैं जावेद अख्तर

आर डी बर्मन की आखिरी सफलता के बारे में जावेद अख्तर ( Javed Akhtar ) कहते हैं। वो एक ऐसा शख्स था जिसने अपने आपको संगीत का बादशाह साबित किया, लेकिन फिर उससे वो ताज छिन लिया गया। लेकिन साल 1942 में अपना शानदार संगीत देकर उसने ये साबित कर दिया कि संगीत का शहंशाह तो वही है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि बादशाह की जान तख्त पर दोबारा बैठने से पहले ही निकल गई। बर्मन ने अपनी पढ़ाई पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) में ही पूरी की थी। वहीं जब वो 9 साल के थे तो उन्होंने अपना पहला गाना कंपोज किया था। अब अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वो कितने बड़े म्यूजिक कंपोजर थे।