
नई दिल्ली। हमारे देश में युद्ध भूमि में जिस तरह से राजा महाराजा लड़ाई के मैदान में उतरते थे उस दौरान जितनी भूमिका एक राजा की अपने सैनिकों के प्रति होती थी उससे कही अधिक उनके रक्षक वने घोड़े की भी होती थी जो अपनी पूरी जबाबदारी के साथ अपने मालिक कीरक्षा करते हुए वीर गति को प्राप्त हो जाते थे इसलिये आज भी राजा- महाराजाओं की प्रतिमा के साथ घोड़ोे को भी हमेशा याद किया जाता है। प्रतिमाओं के साथ खड़ी घोड़े की मूर्ति उनके रक्षक और उनकी वीरता का संदेश देती है तभी तो इन वीर महापुरुषों के साथ इनके घोड़े भी अमर हो जाते हैं जो इनके नाम के साथ हमेशा याद भी किये जाते हैं। घोड़े के साथ बनी ये मूर्ति भले ही अलग अलग वीरों के साथ बनी हुई दिखती है। पर इनके बनाये जानें पर इनके पैर की ओर आपने देखा होगा जो अलग अलग संदेश देती हुई नजर आती है जिस बात से हम अनजान रहते हैं आज हम अपने इस आर्टिकल के द्वारा सबसे खास जानकारी से आपको अवगत करा रहे हैं। इन घोड़े की अलग अलग बनने वाली प्रतिमाओं के पीछे क्या राज छुपा है जानें इस आर्टिकल के द्वारा…
दो पैरों पर खड़ा घोड़ा
किसी भी वीर प्रतिमा के साथ देखे जाने वाले घोड़े के दो पैर यदि उपर की ओर खड़े हुये दिखे तो इसका मतलब होता है उस वीरांगना या वीर पुरूष ने कई युद्ध किये है और इनकी मृत्यु भी युद्ध के दौरान ही हुई है। जिससे ये वीर पुरूष लड़ते लड़ते शहीद हुआ है।
एक पैर को उठाए हुए घोड़ा
यदि घोड़े की प्रतिमा पर बनाया गया एक पैर को ही उठाए हुए घोड़ा खड़ा है तो इसका मतलब है कि योद्धा युद्ध के समय काफी ज़ख्मी हुआ था, लेकिन उसकी मृत्यु इलाज के दौरान हुई या फ़िर युद्ध के दौरान मिले जख्म उसकी मौत का कारण बने।
सामान्य रूप से खड़ा घोड़ा
कुछ प्रतिमाएं ऐसी देखने को मिलती हैं, जिसमें योद्धा का घोड़ा अपने चारों पैरों के साथ सामान्य स्थिति में खड़ा रहता है। जिसके पीछे का कारण यह बताता है कि इस योद्धा ने कई जंग लड़ी हैं, लेकिन उसकी मौत सामान्य रूप से ही हुई है। जिसकी मौत का कारण ना तो कोई जंग है और ना ही युद्ध को दौरान लगने वाले घाव.. ये वीर योद्धा समान्य स्थिति में मृत्यु को प्राप्त हुआ है।
Updated on:
02 Jan 2020 03:27 pm
Published on:
02 Jan 2020 03:26 pm
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